येसु ईश्वर के पुत्र, प्रेम की शक्ति पर आधारित नये पथ के उदघाटक
(वाटिकन सिटी सीएनएस 10 मार्च) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने जीजस औफ नाजरेथ नामक पुस्तक
के दूसरे भाग में ख्रीस्त के दुःखभोग और पुनरूत्थान पर अपने विचार व्यक्त किये हैं जो
इतिहास बदलनेवाली घटनाएँ हैं तथा ईश्वर के साथ मेलमिलाप करने की मानवजाति की न रूकनेवाली
जरूरत का जवाब देती हैं। 384 पृष्ठ वाली पुस्तक का अंग्रेजी शीर्षक है- जीजस औफ नाजरेथ,
फ्राम द एंटरन्स इनटू जेरूसालेम टू द रेजुरेक्शन अर्थात नाजरेथ के येसु- येरूसालेम में
प्रवेश करने से लेकर पुनरूत्थान तक। इस पुस्तक को लिखने के लिए संत पापा ने अनेक वर्षों
तक काम किया है। येसु के सार्वजनिक प्रेरिताई की मुख्य घटनाओं पर शोध करती यह उनकी दूसरी
पुस्तक है। संत पापा ने इस पुस्तक की प्रस्तावना में कहा है कि वे येसु के जीवन पर
और एक क्रमिक घटनाक्रम नहीं लिखना चाहते थे लेकिन यथार्थ येसु की छवि और संदेश को प्रस्तुत
करना चाहते हैं जो न तो राजनैतिक क्रांतिकारी और न ही मात्र नैतिकतावादी हैं लेकिन ईश्वर
के पुत्र हैं जिन्होंने प्रेम की शक्ति पर आधारित मुक्ति के एक नये पथ का उदघाटन किया।
क्रूस पर अपने बलिदान के द्वारा तथा कलीसिया की स्थापना कर येसु ने सार्वभौमिक मिशन को
पूरा किया। वे संसार को उस ओर से परे ले चले जहाँ मानव, ईश्वर और स्वयं से दूर होने की
परिस्थिति में था। यह ऐसा मिशन है जो आज भी जारी है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा
है कि क्या यह ऐसा मामला नहीं है जहाँ मौन, रहस्यमय, अनुपस्थित प्रतीत होते लेकिन सब
जगह विद्यमान ईश्वर के साथ मेलमिलाप करने की हमें जरूरत है, यही सम्पूर्ण विश्व इतिहास
की वास्तविक समस्या है। इस पुस्तक में येसु के अंतिम दिनों की प्रमुख घटनाओं जैसे-
मंदिर का शुद्धीकरण, अंतिम ब्यालू, येसु के साथ विश्वासघात, फरीसियों की महासभा तथा पोंतियुस
पिलातुस के सामने सवाल जवाब, येसु का क्रूस आरोपण तथा पुनरूत्थान के बाद शिष्यों को दिखाई
देना पर विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। वाटिकन द्वारा बताया गया कि जर्मन इताली,
फ्रेंच, स्पानी, पुर्तगाली तथा पोलिश सात भाषाओं में 1.2 मिलियन प्रतियाँ छापी गयीं हैं
तथा इसके इ बुक संस्करण की योजना भी बनाई गयी है। क्रोएशियाई संस्करण मार्च माह के अंत
तक प्रकाशित की जाएगी। काथलिक, प्रोटेस्टंट और यहूदी विशेषज्ञों तथा ईशशास्त्रियों
के पैनल ने संत पापा की नवीनतम पुस्तक की सराहना करते हुए इसे विशिष्ट नयी पुस्तक करार
दिया और कहा कि इससे सब धर्मों के पाठकों तथा हर स्तर पर लोगों को ईशशास्त्रीय अध्ययन
और बाईबिल की समझ पाने के लिए लाभ मिलेगा।