2011-03-02 12:28:43

न्यू यॉर्कः संयुक्त राष्ट्र में परमधर्मपीठ ने कहा शिक्षा में मूल्यों के प्रति सम्मान अनिवार्य


न्यू यॉर्क, 02 मार्च सन् 2011 (ज़ेनित): वाटिकन के प्रतिनिधि का कहना है कि यदि शिक्षा धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान नहीं करती है तो उसपर "नियंत्रण का अस्त्र" बन जाने का ख़तरा बना रहता है।

न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फ्राँसिस चुल्लीकट्ट की ओर से सोमवार को महिला आयोग के 55 वें सत्र में प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए जेन अडोल्फी ने यह बात कही।

सुश्री अडोल्फी नेपल्स एवं फ्लोरिडा में आवे मरिया स्कूल ऑफ लॉ की प्राध्यापिका तथा संयुक्त राष्ट्र संघीय महिला आयोग की सदस्या हैं।

महिलाओं एवं किशोरियों की शिक्षा तथा विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण पर चर्चा करते हुए परमधर्मपीठीय प्रतिनिधि ने कहा, "सबसे महवपूर्ण यह है कि शिक्षा की जड़ों को मानव प्रतिष्ठा तथा धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति गहन सम्मान में मज़बूत होना चाहिये।"

उन्होंने कहा, "इस सम्मान के अभाव में शिक्षा यथार्थ ज्ञानोदय का साधन नहीं रह जायेगी बल्कि उन लोगों के लिये नियंत्रण का अस्त्र बन जायेगी जो इसे प्रशासित करते हैं।"

शिक्षा को सम्पूर्ण मानवजाति के लिये सामान्य प्राकृतिक विधान में मूलबद्ध मूल्यों के अनुकूल रखने पर उन्होंने बल दिया।

महिलाओं के उत्थान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि श्रम के नियमों को इस प्रकार बनाया जाना चाहिये ताकि महिलाओं को अपनी प्रकृति के विरुद्ध न जाना पड़े तथा नौकरी के लिये अपने परिवार का परित्याग न करना पड़े। उन विधानों के निर्माण पर भी उन्होंने बल दिया जो भेदभाव, हिंसा एवं यौन शोषण से महिलाओं एवं किशोरियों की रक्षा कर सकें।







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