कर्नाटकः ईसाईयों ने कर्नाटक सरकार की रिश्वत ठुकराई
कर्नाटर, पहली मार्च सन् 2011 (सी.बी.सी.आई): कर्नाटक के ख्रीस्तीय नेताओं ने, ख्रीस्तीय
कल्याणकारी संस्थाओं के लिये, कर्नाटक सरकार द्वारा अर्पित मदद को ठुकरा कर इसे रिश्वत
निरूपित किया है।
24 फरवरी को कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री बी.एस.येदुरप्पा
ने कर्नाटक की विधान परिषद के समक्ष राज्य का बजट प्रस्तुत करते हुए ख्रीस्तीय कल्याणकारी
योजनाओं के लिये पचास करोड़ रुपये अलग रखने की घोषणा की थी।
उन्होंने यह भी कहा
था कि राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार की व्यवस्था पहली बार की जा रही थी।
सन् 2008
में ख्रीस्तीयों पर हुए हमलों पर जारी राज्य सरकार की रिपोर्ट की कड़ी आलोचनाओं के बीच
मुख्यमंत्री ने उक्त घोषणा की।
कर्नाटक में काथलिक कलीसिया के धर्माधिपति, बैंगलोर
के महाधर्माध्यक्ष बर्नाड मोरस ने इस प्रस्ताव को ख्रीस्तीयों को ख़ुश करने हेतु सरकार
का "राजनैतिक दाँव" निरूपित किया। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि
ये "टुकड़े" ख्रीस्तीयों को सन्तुष्ट नहीं कर पायेंगे। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि
सरकार हमारे धर्म पालन एवं धर्मप्रसार के अधिकार की रक्षा करे।"
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि सरकार की घोषणा से ख्रीस्तीय समुदाय आश्चर्यचकित नहीं हुआ है क्योंकि इस प्रकार
की मदद ख्रीस्तीय समुदाय ने बहुत पहले से मांगी थी।
काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता
फादर फाओस्तीन लोबो ने सरकार के प्रस्ताव को ख्रीस्तीय को ख़ुश करने का "घटिया कदम" निरूपित
किया तथा इस बात पर भी आशंका व्यक्त की सरकारी सहायता असली ज़रूरतमन्दों तक पहुँच भी
पायेगी अथवा नहीं।
चर्च ऑफ साऊथ इण्डिया के पादरी तथा दलित क्रिस्टियन फेडरेशन
के अध्यक्ष प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय नेता रे. मनोहर चन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह आक्रमणों
के लिये न्याय न मिलने तथा मिथ्या रिपोर्ट के प्रकाशन से नाराज़ ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों
को प्रसन्न करने हेतु सरकार द्वारा रची गई चाल है।
बैंगलोर में भारतीय सामाजिक
संस्था के निदेशक, येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर एम.के.जॉर्ज ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित
मदद का वास्तिवक लक्ष्य ख्रीस्तीयों का ध्यान गम्भीर मुद्दों से अलग हटाना है।