जेनेवा 28 फरवरी, 2011(ज़ेनित) महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो तोमासी ने लीबिया में प्रदर्शनकारियों
के विरुद्ध हिंसात्मक कारवाई की प्रति ‘वेदना और चिंता’ व्यक्त की है। विदित हो कि
संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक ने शुक्रवार 25 फरवरी को इस बात
की पुष्टि की थी कि संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कौंसिल ने उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्रों
की वर्त्तमान स्थिति की समीक्षा के लिये एक सभा बुलायी थी ताकि कोई उचित कदम उठाया जा
सके। उन्होंने बताया कि जैसा कि मिश्र, ट्यूनिशया और अल्जीरिया में सरकार के विरुद्ध
प्रदर्शन हुए वैसा ही प्रदर्शन लीबिया में भी जारी हैं। लीबिया की सरकार ने भाड़े के
सैनिकों के समर्थन से हिंसा के सहारे विरोध को कुचलने का प्रयास किया है। उन्होंने
कहा था कि " इस समय यह बता पाना कठिन है कि इस दमनात्मक कारवाई में कितनी जानें गयीं
हैं। फिर भी 15 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं। स्थानीय सूत्रों
के अनुसार त्रिपोली शहर के निकट लोगों को सामुहिक रूप से दफना दिया गया है।" महाधर्माध्यक्ष
तोमसी ने शुक्रवार को वाटिकन रेडियो को बताया कि " वाटिकन का मानना है कि सबसे पहले हिंसा
को रोका जाना चाहिये और तब वार्ता के जरिये समस्या का समाधान खोजा जा सकता है। " उन्होंने
कहा कि " इस प्रकार का विरोध देश के शासन में प्रजातांत्रिक सहभागिता और सक्रियता की
इच्छा की अभिव्यक्ति है। " वाटिकन ने हिंसा पर गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त
की है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यहाँ की समस्या को समझे और समाधान प्रस्तुत करे ताकि लीबिया
के निवासियों को इसका लाभ मिल सके। महाधर्मधर्माध्यक्ष ने बताया कि यूएन के मानवाधिकार
हाई कमीशनर नवी पिल्लय ने कहा कि " वे सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों पर सैंनिक और भाड़े
के सैनिकों की हिंसात्मक कारवाई का विरोध करते हैं।" यूएन में सम्पन्न सभा में दो
प्रस्ताव पारित किया गया। लीबिया को मानवाधिकार कौंसिल से निलंबित किया जाये और एक अंतरराष्ट्रीय
समिति बने जो लीबिया के नागरिकों पर हो रही हिंसा की जाँच करे।