2011-02-22 12:35:45

मैंगलोरः ईसाई हमलों के सिलसिले में न्याय हेतु मैंगलोर के ख्रीस्तीयों ने किया विरोध प्रदर्शन


मैंगलोर, 22 फरवरी सन् 2011 (ऊका न्यूज़): मैंगलोर के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने कर्नाटक राज्य के ख्रीस्तीयों एवं गिरजाघरों पर किये गये हमलों के सिलसिले में न्याय की मांग करते हुए रविवार को एक विशाल विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

मैंगलोर काथलिक धर्मप्रान्त के नेतृत्व में आयोजित उक्त प्रदर्शन में लगभग 45 विभिन्न ख्रीस्तीय सम्प्रदायों एवं लोकधर्मी समुदायों के एक लाख लोगों ने भाग लेकर ख्रीस्तीयों पर किये गये हमलों पर सरकारी जाँच आयोग की रिपोर्ट का खण्डन किया।

गॉस्पल चर्च के पादरी रे. ऑलविन कोलासो ने पत्रकारों से कहा, "यह ख्रीस्तीय धर्म का सागर है जिसे चरमपंथी दलों के आक्रमणों से गहरी चोट लगी है।"

उन्होंने कहा कि सरकार को इन लोगों के धैर्य एवं विश्वास पर ग़ौर करना चाहिये तथा इन्हें न्याय देना चाहिये।

एक किलो मीटर लम्बे प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने मुँह पर काला कपड़ा बाँधा तथा काले झण्डे फहरा कर सरकारी जाँच आयोग की रिपोर्ट का खण्डन किया।

काथलिक नेता जॉर्ज कास्टेलिनो ने बताया कि काले रंग के चयन का यह अर्थ नहीं कि हम दुर्बल हैं और मर गये हैं बल्कि इसका अर्थ है कि सरकार के कृत्य ने ख्रीस्तीयों की आवाज़ को शान्त कर दिया है।

बी. के. सोमशेखरा के नेतृत्व वाले सरकारी जाँच आयोग ने 28 जनवरी को ख्रीस्तीयों पर किये गये आक्रमणों की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

मैंगलोर के धर्माध्यक्ष अलोईस पौल डिसूज़ा ने रिपोर्ट पर टीका करते हुए कहा कि कर्नाटक राज्य ने सन् 2008 में ख्रीस्तीयों पर सौ से अधिक हमलों को देखा है किन्तु आयोग ने केवल 57 हमलों का ज़िक्र किया। प्रॉटेस्टेण्ट कलीसिया के ब्रदर वॉलटर माबेन ने आरोप लगाया कि आयोग को पता था कि हमलावर कौन थे किन्तु जानबूझकर आयोग ने रिपोर्ट में हमलावर दलों का नाम नहीं लिया है।

प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय अधिकारियों के समक्ष एक ज्ञापिका भी प्रस्तुत की जिसमें उन कारणों को स्पष्ट किया गया है जिनकी वजह से कर्नाटक का ख्रीस्तीय समुदाय रिपोर्ट का बहिष्कार कर रहा है। उन्होंने यह मांग भी रखी है कि ख्रीस्तीयों पर किये गये हमलों के प्रकरण को सी.बी.आई. के सिपुर्द कर दिया जाये।







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