2011-02-22 10:07:06

ड्रॉपआउट्स’ बने सांस्कृतिक राजदूत


कोलकाता, 21 फरवरी, 2011(उकान) सलेशियन सेंटर इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर एंड रूरल डेवेलॉपमेन्ट के प्रयास से आदिवासी युवा सांस्कृतिक राजदूत बन रहे हैं।
उक्त बात की जानकारी देते हुए सलेशियन फादर थोमस कलापुरा ने कहा उन्होंने सन् 2000 ईस्वी में 20 छात्राओं को नृत्य प्रशिक्षण देना आरंभ किया था और अब वे अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर अपनी सांस्कृतिक कला का प्रचार कर रहीं हैं।
फादर कलापुरा के अनुसार पिछले दस वर्षों में इस संस्थान ने 200 युवाओं को प्रशिक्षित किया है। अपने प्रशिक्षण के बाद ये असम और हिमाचल प्रदेश के 320 गाँवों में करीब 1 लाख 30 हज़ार मिसिंग आदिवासियों के बीच कार्य कर रहे हैं।
54 वर्षीय फादर थोमस कलापुरा ने कहा कि जिन आदिवासी युवाओं के लिये उन्होंने यह सांस्कृतिक कला केन्द्र की स्थापना की वे सभी ‘ड्रोपआउट्स’ अर्थात् स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाये थे।
विदित हो कि फादर कलापुरा वर्षों से मिसिंग आदिवासियों के उत्थान के लिये अपनी सेवायें दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि आदिवासियों को नृत्य और संस्कृति के अलावा उन्होंने व्यक्तित्व के विकास, अभिनय कला, गीत-संगीत और सिलाई,बुनाई और कढ़ाई स्वास्थ्य सेवा आदि का प्रशिक्षण दिया है।
ज्ञात हो कि असम में बोड़ो आदिवासियों के बाद मिसिंग आदिवासियों की संख्या ही सबसे अधिक है। करीब 5 हज़ार मिसिंग आदिवासियों ने ख्रीस्तीय धर्म भी स्वीकार कर लिया है।
नृत्य दल की गायित्री ने कहा कि संस्कृति और कला संस्थान में प्रवेश करने के पूर्व उसे मालूम नहीं था कि उनकी संस्कृति इतनी अच्छी है।कलाकारों ने बताया कि उनकी इच्छा है कि मिसिंग संस्कृति गीत संगीत और नृत्य को जीवित रखेंगे।
हाल में इस दल ने कोलकाता में अवस्थित धन्य मदर तेरेसा केन्द्रों में भी अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया है।
फादर कलापुरा ने बताया कि उनकी योजना है कि एक संग्रहालय का निर्माण हो जिसमें मिसिंग आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखा जायेगा।










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