2011-02-14 15:25:18

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 13 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस रविवार की पूजनधर्मविधि की सुसमाचार पाठ में येसु का तथाकथित पर्वत प्रवचन जारी है जिसमें संत मत्ती रचित सुसमाचार के अध्याय 5, 6 और 7 हैं। आशीर्वचन या धन्यताओं के बाद, जो कि उनके जीवन का प्रोग्राम है येसु नये विधान, उनका तोराह, जैसा कि हमारे यहूदी बंधु इसे कहते हैं, की घोषणा करते हैं।

वस्तुतः, मसीह, अपने आगमन के समय, विधान की निश्चित प्रकाशना को ला सकते थे और यही वह है जिसकी येसु घोषणा करते हैं- यह न समझो कि मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने बल्कि पूरा करने आय़ा हूँ। और वे अपने शिष्यों से कहते हैं- यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से गहरी नहीं हुई तो तुम स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं करोगे। लेकिन क्या है जिसमें येसु के विधान की पूर्णता वास करती है और यह उच्च धार्मिकता क्या है जो माँग करती है।

येसु इसकी व्याख्या पुराने नियमों और उनके बारे में अपने अभिगम के मध्य विपरीतार्थ शिक्षा की श्रृंखला द्वारा प्रस्तुत करते हैं। वे हर समय इस प्रकार कहना शुरू करते हैं- तुम लोगों ने सुना है कि पूर्वजों से कहा गया है ......और इसके बाद वे कहते हैं परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ- उदाहरण के लिए, तुमलोगों ने सुना है कि पूर्वजों से कहा गया है- हत्या मत करो। यदि कोई हत्या करे तो वह कचहरी में दंड के योग्य ठहराया जायेगा। परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ जो अपने भाई पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दंड के योग्य ठहराया जायेगा। और इस तरह का कथन सात बार कहा गया है।

इस प्रकार कहने से लोगों को आश्चर्य हुआ जो लोग यह सुनकर भयभीत हो गये थे जब उन्होंने सुना मैं तुम से यह कहता हूँ यह कहना ऐसा करने के बराबर था कि विधान के स्रोत, ईश्वर के प्राधिकार को स्वयं अपने ऊपर लेना। ख्रीस्त की नवीनता अपरिहार्य़ रूप से इस तथ्य में निहित है कि वे आज्ञाओं को ईश्वर के प्रेम से, पवित्र आत्मा की शक्ति से पूरा करते हैं जो उनमें निवास करते है। और हम ख्रीस्त पर विश्वास के द्वारा स्वयं को पवित्र आत्मा के कार्य़ों के लिए खोल सकते हैं जो हमें दिव्य प्रेम को जीने के लिए समर्थ बनाते हैं। इस प्रकार, प्रेम की माँग के समान प्रत्येक कथन सच बन जाता है और इन सबका सार एक ही आज्ञा में है- अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।

प्रेरित संत पौलुस रोमियों के नाम पत्र के अध्याय 13 के 10 वें पद में लिखते हैं- प्रेम संहिता के सभी नियमों का पालन करता है। इस माँग के सामने उदाहरण के लिए, इस शहर के सीमांत क्षेत्र में विगत सप्ताह चार घुमंतु बच्चों की मृत्यु का दुःखद मामला जब उनकी झोपड़ी में आग लग गयी हमें अपने आपसे यह पूछने को कहती है कि क्या अधिक सहृ्द और भ्रातृत्वमय समाज, प्रेम में जो अधिक दृढ़ है, कहने का अभिप्राय- और अधिक मसीही है क्या इस प्रकार की त्रासदीपूर्ण घटनाओं को होने से नहीं रोक सकता था और यह सवाल ज्ञात या अज्ञात अन्य अनेक दुखद घटनाओं पर भी लागू होता है जो प्रतिदिन हमारे शहरों और हमारे देशों में घटती हैं।

प्रिय मित्रो, शायद यह केवल संयोग नहीं है कि येसु के उपदेश देने के प्रथम महत्वपूर्ण अवसर को पर्वत प्रवचन कहा गया है। मूसा ईश्वर की आज्ञाओं को पाने तथा इन्हें चुनी हुई प्रजा तक लाने के लिए सिनाई पर्वत पर चढ़े थे। येसु ईशपुत्र हैं जो स्वर्ग से उतरे ताकि हमें स्वर्ग ले सकें, प्रेम के पथ पर ईश्वर की ऊँचाई तक ले जायें। वस्तुतः वे स्वयं वह मार्ग हैं। हमें उनका अनुसरण करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करना है, हम ईश्वर की इच्छा को पूरा करें तथा उनके राज्य में, अनन्त जीवन में प्रवेश करें। एक सृष्ट प्राणी पर्वत के उस शिखर तक पहुँच चुकी हैं- कुँवारी मरिया। येसु के साथ उनकी संयुक्तता के लिए धन्यवाद। उनका न्याय पूर्ण है। यही कारण है कि हम उन्हें न्याय का दर्पण कहकर पुकारते हैं। हम स्वयं को उनकी मध्यस्थता के सिपुर्द करें ताकि वे ख्रीस्त के विधान के प्रति निष्ठा में हमारे कदमों को मार्गदर्शन प्रदान करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।







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