मंगलोर, 14 फरवरी, 2011(उकान) मंगलोर के मुसलमानों ने ईसाइयों पर हुए कट्टरवादी हिन्दुओं
के हमलों के विरोध में 11 फरवरी शुक्रवार को एक रैली का आयोजन किया। मुसलिम सेंट्रल
कमिटी के संयोजक हासन अली ने कहा कि "ईसाई बच्चों को शिक्षित करते बीमारों एवं बुजूर्गों
को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते लेकिन अतिवादी हिन्दुओं के द्वारा सदा बेवज़ह आक्रमण झेलने
पड़ते हैं। यह किसी भी हालत में हिन्दुत्व या देशभक्ति नहीं है। " मुसलिम नेता हासन
अली ने कहा उनका विरोध सरकारी रिपोर्ट पर है जिन्होंने अतिवादी हिन्दुओं को सन् 2008
के ईसाइयों विरोधी हमलों से दोषमुक्त कर दिया है। विदित हो कि सेवानिवृत्त जज बी.के.
सोमशेखर की अध्यक्षता में आक्रमणों की छानबीन के एक आयोग का गठन हुआ था। इसकी रिपोर्ट
28 जनवरी को प्रकाशित की गयी। इस अवसर पर बोलते हुए एक स्थानीय मुस्लिम नेता मुहम्मद
कुन्नी ने इस बात के लिये रोष व्यक्त किया कि हिन्दु कट्टरवादी सभी मुसलमानों को आतंवादी
करार देते और ईसाइयों पर धर्मान्तरण का आरोप लगाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनका
अनुभव रहा है कि ईसाई, हिन्दु और मुस्लिम वर्षों से गाँवों में एक दूसरे के दुःख-सुख
में सहभागी होते हुए जीवन बिताते और हर तरह के धार्मिक और सामाजिक बंधनों को तोड़ने का
प्रयास करते हैं। साम्प्रदायिक सद्भावना के लिये बने मंच के सचिव के. एल. अशोक ने
कहा कि लोग सोमशेखर कमीशन रिपोर्ट का बहिष्कार करें क्योंकि इसने दो सालों की गहन छानबीन
के बाद भी ईसाइयों के साथ न्याय नहीं किया है। महिला राज्य आयोग की पूर्व अध्यक्षा
फिलोमिना पारेस ने कहाकि सरकार ने एक ईसाई विरोधी हिंसा पर " झूठ से भरे अन्यायपूर्ण
पुलिन्दे " के लिये 190 लाख रुपये बहा दिये। विरोध रैली के अंत में मुसलिम नेताओं
ने कमीशनर से माँग की है कि वे जाँच-पड़ताल की ज़िम्मेदारी सीबीआई को दें। उन्होंने इस
बात की भी माँग की है कि देश के विभिन्न राज्यों में कथित आतंकवादी क्रियाकलापों के आरोप
में गिरफ़्तार मुसलमान युवाओं को सरकार अविलंब मुक्त करे।