2011-02-10 19:51:17

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
9 फरवरी, 2011


वाटिकन सिटी, 9 फरवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।


उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में संत पीटर कनीसस के जीवन पर मनन-चिन्तन करें।

संत पीटर कनीसस अपने युवाकाल मे ही संत इग्नासियुस लोयोला के आरंभिक अनुयायों में से एक बना। कोलोन में अपने पुरोहिताभिषेक के तीन साल बाद ही उन्होंने धार्मिक और नैतिक सुधार तथा इंगोलस्तादे विश्वविद्यालय के शिक्षा के स्तर को उठाने के लिये कार्य करना शुरू किया।

उन्होंने पराग्वे में महाविद्यालय की स्थापना की और दक्षिणी जर्मनी के जेस्विट प्रोविंश का पहला सुपीरियर नियुक्त किया गया।

उनके निर्देशन में जेस्विट समुदाय और कॉलेजों को काथलिक कलीसिया में सुधार लाने के केन्द्र बन गये। कलीसिया के इस सुधार के कोलाहल में उन्होंने कई ईशशास्त्रीय और आम सभाओं में हिस्सा लिया।

पीटर कनीसस की भक्तिपूर्ण रचनायें और बाइबल से प्रेरित जवाब ये बहुत प्रसिद्ध हैं। संत पीटर कनीसस को जब स्विटजरलैंड के फ्रिबोर्ग भेजा गया तो उन्होंने वहाँ पर भी अपने लेखों को लिखना और विचारों को व्यक्त करना ज़ारी रखा। संत पापा लिओ 13वें ने संत पीटर कनीसस को ‘जर्मनी का दूसरा प्रेरित’ कहा था।

संत पापा पीयुस नवें ने उन्हें संत घोषित किया और कलीसिया का आचार्य कहा। उन्होंने काथलिक धर्मशिक्षा के लिये अपना विशेष योगदान दिया।

उन्होंने ख्रीस्त केन्द्रित आध्यात्मिकता का सदा प्रचार किया। आज हम प्रार्थना करें कि हम उनके जीवन से प्रेरित होकर येसु में केन्द्रित जीवन जीयें, दैनिक प्रार्थना, येसु के पवित्र ह्रदय की भक्ति और पूजन विधि में सम्मिलित होकर अपने जीवन को ख्रीस्तमय बना सकें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने संत थोमस युनिवर्सिटी, लोयोला यूनिवर्सिटी हाईलैंड इनस्टीट्यट और आइरिस इनस्टिट्यूट के विद्यार्थियो, जापान, मलेशिया और देश-विदेश से आये तीर्थयात्रियों और उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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