झारखण्डः आदिवासियों को मुख्यधारा में शामिल करने हेतु कलीसिया से सहायता का आग्रह
झारखण्ड, 9 फरवरी सन् 2011 (ऊका): झारखण्ड में येसु धर्मसमाज के एक समाजशास्त्री कलीसिया
से आग्रह कर रहे हैं कि वह अन्य समुदायों के साथ एकीकृत होने के लिये आदिवासियों की मदद
करे।
राँची में सामाजिक विज्ञान सम्बन्धी केन्द्र के निदेशक फादर आलेक्स एक्का
ने कहा कि विविधता में एकता स्थापित करने तथा लोगों में न्याय एवं शांति को प्रोत्साहित
करने में काथलिक कलीसिया को अग्रणी होना चाहिये।
चार फरवरी को राँची में स्व.
सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की भारत यात्रा की याद में आयोजित एक विचार गोष्ठी में फादर
एक्का ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि दस वर्षों पूर्व झारखण्ड का निर्माण हुआ था किन्तु
अभी भी वहाँ विकास, अच्छे शासन, शांति एवं समृद्धि का अभाव बना हुआ है।
"झारखण्ड
की सामाजिक उत्कंठा" शीर्षक के तहत व्याख्यान देते हुए फादर एक्का ने कहा कि राजनैतिक
शिक्षा, धारणीय विकास एवं साम्प्रदायिक मैत्री को बढ़ावा देने के लिये काथलिक कलीसिया
की सामाजिक शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
उन्होंने कहा कि कलीसिया
ने झारखण्ड के लोगों को शिक्षित कर उन्हें प्रतिष्ठा एवं सामाजिक गतिशीलता प्रदान करने
में अनुपम योगदान दिया है। अब झारखण्ड के लोग सशक्तिकरण एवं नेतृत्व में प्रशिक्षण हेतु
कलीसिया से मार्ददर्शन की अपेक्षा करते हैं।
विभिन्न परम्परओं एवं पृष्टभूमियों
से आनेवाले झारखण्ड के लोगों का उन्होंने आह्वान किया कि वे अपनी अलग पहचान बनाये। "ऐसी
पहचान जो न्याय, आपसी सम्मान, समानता, भ्रातृत्व, स्वतंत्रता एवं एकात्मता के मूल्यों
पर आधारित हो।" उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये कलीसिया मार्गदर्शक सिद्ध
हो सकती है।