2011-01-31 19:40:39

ख्रीस्तीय एकता के लिये " सच्चे परिवर्तन " की ज़रूरत


वाटिकन सिटी, 31 जनवरी, 2011 (ज़ेनित) ख्रीस्तीय एकता के लिये सहिष्णुता और बहुलवादी होना काफी नहीं है। इसके लिये " सच्चे परिवर्तन " की ज़रूरत है।
उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम " ऑक्तावा दियेस " में ‘सेंट पौल आउटसाइड द वॉल’ में संत पापा द्वारा दिये गये ख्रीस्तीय एकता संबंधी सलाहों पर अपने विचार व्यक्त किये।
विदित हो कि 25 जनवरी को आयोजित सान्ध्य प्रार्थना सभा में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा था " बिखरे हुए विभिन्न ख्रीस्तीय कलीसियाओं के बीच होने वाले अन्तरकलीयाई एकता के प्रयासों के तहत् आपसी विभिन्नताओं को मान्यता देने और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के दिशा में मिले कुछ सफलताओँ से ही हमें संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिये। "
फादर लोमबारदी ने कहा कि " वार्ता और विभिन्न टकराव के दौर से गुजरते हुए हम इस प्रगति से संतुष्ट हैं कि हमारे बीच कोई तनाव न रहे और हम नम्रतापूर्वक आपसी दूरी का सम्मान करें और ऐसा सोचकर कि इससे अनिश्चितता बढ़ेगी हम इससे बढ़कर कोई कदम उठाने से हिचकते हैं ।"
" सहिष्णुता और बहुलवादी विचारधारा की संस्कृति के लिये के अनुसार ऐसा होना स्वाभाविक है जो कई बार सच्चा और बुद्धिमत्तापूर्ण प्रतीत होता है।
पर क्या यह सच है ? " " एकता इससे बढ़कर है जैसा की संत पापा ने कहा है एकता का अर्थ है जैसा की येसु ने अपनी प्रार्थना में व्यक्त किया था ‘ ऐसी एकता जिसमें एक विश्वास एक संस्कार और एक ही मिशन हो।"
जैसा कि संत पापा ने कहा था कि " आशाहीन और प्रलोभनों के कारण कमजोर पड़ जाने की स्थिति में " हमें चाहिये कि हम पवित्र आत्मा की शक्ति से अपने विश्वास को सुदृढ़ करें और अपने रास्ते में उत्साहपूर्वक आगे कदम बढ़ायें।"
संत पौल अपने घोड़े से गिरने के बाद जब येसु से मिले तो उनका जीवन पूर्णतः बदल गया।
आज येसु मसीह हमसे भी चाहते हैं कि हम हम एकता संबंधी प्रयासों में आगे बढ़ें। हमारी अन्तरकलीसियाई एकतावर्द्धक सभायें इस बात को नहीं दिखातीं हैं कि हममें एकता का जो बीज है वह हममें ईश्वरीय आत्मा का विश्वसनीय साक्ष्य है बल्कि यह कई बार यह दिखातो है कि हममें अनेकता है। "










All the contents on this site are copyrighted ©.