ख्रीस्तीय विवाह के लिये गंभीरतापूर्ण तैयारी अनिवार्य
वाटिकन सिटी, 24 जनवरी, 2011 (वीआर) संत पापा ने कहा है कि परिवारों के वर्त्तमान संकट
के मद्देनज़र विवाह के पूर्व की तैयारीकाल को गंभीरतापूर्वक लिये जाने की आवश्यकता है।
संत पापा उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 22 जनवरी को अपने वार्षिक संबोधन
में रोमन रोटा के सदस्यों अर्थात् काथलिक कलीसिया के विवाह संबंधी मामलों को सुलझने के
लिये कार्यरत न्यायधीशों, अधिकारियों और लेखा परीक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने
कहा कि विवाह के पूर्व का प्रशिक्षण, वर-वधुओं की जाँच और प्रतिबंध तथा अन्य उचित जांच
के प्रकाशन को लोग अक्सर पूरी तरह से औपचारिक दायित्वों के रूप में देखते हैं। संत
पापा ने कहा कि आज समाज में एक मानसिकता के तहत् विवाह करने वाले जोड़े सोचते हैं कि
पुरोहितों को चाहिये कि वे शादी की प्रक्रियाओं में उदारदापूर्ण रवैया अपनायें क्योंकि
विवाह उनका स्वभाविक अधिकार है। संत पापा ने कहा कि कलीसिया में विवाह का अधिकार
का अर्थ है व्यक्ति बिना दबाव के पूरी इच्छा से इसमें हिस्सा ले और कलीसिया द्वारा सिखाये
गये विवाह संबंधी कलीसियाई सार तत्वों को समझे। उन्होंने कहा कि " कोई भी विवाह के
समारोह का दावा नहीं कर सकता है क्योंकि " इयुस कोन्नुबी " अर्थात् विवाह का अधिकार
इस बात का ज़िक्र करता है यह प्रमाणिक या सच्चा हो। कलीसिया द्वारा किसी को विवाह
की अनुमति देना अर्थात् उसके वैवाहिक जीवन की देख-भाल करना, उनकी विवाह संस्कार संबंधी
वैधता की दृढ़ता की जाँच करना है। संत पापा ने कहा कि इस संबंध में गंभीरतापूर्वक
लिया गया निर्णय ही युवाओं को आवेशपूर्ण और छिछले निर्णयों से बचाएगा। विवाह के पूर्व
होने वाली जाँच प्रक्रिया को मात्र एक " नौकरशाही प्रक्रिया " नहीं समझा जाना चाहिये।
संत पापा ने कहा कि विवाह के पूर्व की अच्छी तैयारी होने से शादी की शर्तों को बिना
पूरा किये विवाह की अनुमति, और फिर कानूनी न्यायिक अनुमति जैसे " दुष्चक्र " से बचा
जा सकेगा ।