लाहौर, 22 जनवरी, 2011 (एशियान्यूज) शांति और न्याय के लिये बनी पाकिस्तान काथलिक कलीसिया
की राष्ट्रीय आयोग ने महासचिव पीटर जेकब ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार ने को राजनीतिक
इच्छा शक्ति नहीं दिखायी है और इससे आम " नागरिकों दुःख झेलना " पड़ रहा है। यह बहुत
ही " निराशाजनक " है।
आयोग के महासचिव पीटर जेकब ने उक्त बातें उस समय कहीं
जब उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी के उस वक्तव्य पर टिप्पणी की
जिसमें प्रधानमंत्री ने उलेमाओं और मशाइखों के सम्मेलन में आश्वासन दिया था कि ईशनिन्दा
कानून में कोई बदलाव नहीं लाने लाया जायेगा।
प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा ने कहा
था कि " इस्लाम शांति भ्रातृत्व और सहनशीलता का धर्म है जो हिंसा बदला और हत्या नहीं
सिखाता है। " उन्होंने उलेमाओं से यह अपील की थी कि वे आतंकवाद के ख़िलाफ चल रहे अभियान
में अपना दायित्व बखुबी निभायें।
प्रधानमंत्री के आह्वान के प्रत्युत्तर में
इसलाम धर्म के बुद्धिजीवियों ने इस बात का आश्वासन दिया था कि वे सरकार के साथ पूरा सहयोग
करेंगे ताकि लोगों के जीवन संपति और अल्पसंख्यकों के सम्मान की रक्षा हो सके।
उन्होंने
यह भी कहा कि इसलाम धर्म अल्लाह और मानव दोनों के लिये समर्पित हैं। बुद्धिजीवियों
ने लोगों से अपील की है कि वे अपने मित्रों और संबंधियों को विश्वास का बिना भेदभाव किये
मदद करें।
पीटर जेकब ने कहा कि प्रधानमंत्री की बातों से ईसाई नेता बहुत प्रभावित
नहीं हुए हैं क्योंकि सरकार ने उन्हें " निराश " ही किया है। उन्होंने कहा कि सरकार
के पास ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ का अभाव है इसी लिये वे एक ऐसे कानून में बदलाव नहीं ला
सकते जो आम लोगों के लिये " पीड़ा का कारण " बना हुआ है ।
उन्होंने संत पापा
की बातो को दुहराते हुए कहा कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता अंतःकरण की स्वतंत्रता और
मानवाधिकारों की रक्षा कर शांति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।