संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन स्थित आउला देला बेनेदिस्योने सभागार में 21 जनवरी
को रोम के पुलिस विभाग के लगभग 1200 अधिकारियों और कर्मचारियों को नये साल के उपलक्ष्य
में अपनी वार्षिक शुभकामनाएँ देते हुए उनके समर्पित सेवा कार्य की सराहना की।
इस
अवसर पर संत पापा ने नागरिक और प्रशासनिक नेताओं से अपनी आध्यात्मिक और नैतिक जडों की
पुर्नखोज करने का भी आह्वान किया। वर्तमान समय की सापेक्षवादी संस्कृति की महान चुनौतियों
में से एक, अंतःकरण के संकट पर उन्होंने कहा कि असुरक्षा का भाव है जो प्राथमिक रूप से
सामाजिक और आर्थिक अस्थायित्व के कारण है लेकिन यह स्थिति बढ रही है क्योंकि नैतिक सिद्धान्तों
की समझ कम होते जा रही है जो कानून और निजी नैतिक मनोवृति को चलाते हैं तथा समाज को संचालित
करनेवाले नियमों को हमेशा शक्ति प्रदान करते हैं।
संत पापा ने रेखांकित किया कि
आधुनिक विचार में अंतःकरण को कम कर देखने के नजरिये का विकास हुआ है जिसके अनुसार कोई
वस्तुनिष्ठ संदर्भ बिन्दु नहीं रह गये हैं जहाँ से जो सच है उसे असत्य से अलग कर निर्धारित
किया जाये। लेकिन निजी अनुभव और अंतदृष्टि के आधार पर हर व्यक्ति अपना सच, अपनी नैतिक
नियमावली बना रहा है। इसका परिणाम है कि धर्म और नैतिकता को निजी स्तर पर सीमित कर दिया
जा रहा है।
संत पापा ने कहा कि संक्षेप में कहा जा सकता है कि धर्म, विश्वास
और इसके मूल्यों तथा दैनिक अभ्यासों को सार्वजनिक या नागरिक जीवन में स्थान नहीं है।
इसलिए यदि समाज एक ओर बहुलवाद और सहिष्णुता को बहुत महत्व देता है तो दूसरी ओर धर्म को
क्रमिक रूप से समाज के पार्श्व में डाल दिया जाता है और इसे निरर्थक समझा जाता है। एक
प्रकार से सभ्य समाज से परे ताकि मानव जीवन पर इसका प्रभाव सीमित हो जाये।
संत
पापा ने कहा कि नयी चुनौतियाँ जो सामने आ रही हैं वे माँग करती है कि ईश्वर और मानव पुनः
मिलें, समाज और सार्वजनिक संस्थान अपनी आत्मा, आध्यात्मिक मूल्यों और नैतिक जड़ों की
पुर्नखोज करें तथा नैतिक मूल्यों और कानूनी संदर्भों एवं व्यवहारिक कृत्यों को नया तत्व
प्रदान करें। उन्होंने कहा कि काथलिक धर्म और कलीसिया जनहित का प्रसार करने और यथार्थ
मानवीय प्रगति के लिए अपने योगदान को अर्पित करना जारी रखेगी।