2011-01-20 16:57:04

भारतीय ईशशास्त्रियों की भूमिका पर विचार विमर्श


(काथलिक न्यूज) वाटिकन का एक प्रतिनिधिमंडल वैश्विक ईशशास्त्र में भारतीय ईशशास्त्रियों की भूमिका पर विचार विमर्श कर रहा है। विश्वास और धर्मसिद्धान्त संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल विलियम लेवादा 16 जनवरी से बंगलोर में देश के 28 धर्माध्यक्षों और 26 प्रमुख ईशशास्त्रियों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं। इस विचार विमर्श कार्यक्रम का समापन 22 जनवरी को होगा।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेशियस ने कहा कि हम जिम्मेदार ईशशास्त्री के रूप में भारतीय ईशशास्त्रियों की भूमिका पर विचार विमर्श कर रहे हैं। विचार विमर्श का आधार दोनुम वेरितास दस्तावेज है जो कलीसिया में ईशशास्त्रियों की भूमिका के बारे में सन 1990 में जारी वाटिकन का निर्देश है। उन्होंने कहा कि संस्कृतिकरण और बहुलवाद विषयों पर चर्चा की गयी है।

भारतीय लैटिन रीति के धर्माध्यक्षों की ईशशास्त्र और धर्मसिद्धा्न्त समिति के अध्यक्ष और पूना के धर्माध्यक्ष थोमस डाबरे ने कहा कि सभी प्रतिभागी धर्माध्यक्ष ईशशास्त्रीय पृष्ठभूमि के हैं। विचार गोष्ठी में भाग नहीं ले रहे एक ईशशास्त्र प्राध्यापक ने कहा कि आधुनिक संसार में संस्कृति का वैश्वीकरण वैश्विक ईशशास्त्र के आविर्भाव की ओर ले चल रहा है।








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