बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 19
जनवरी, 2011
रोम,19 जनवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं
में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं
बहनों, यह ख्रीस्तीय एकता के लिये प्रार्थना करने का सप्ताह है । इस समय मैं येसु के
अनुयायियों से यह अपील करता हूँ कि वे पूर्ण एकता के लिये प्रार्थना करें।
इस
वर्ष ख्रीस्तीय एकता सप्ताह की विषयवस्तु है - " विश्वासी दत्तचित्त होकर प्रेरितों
की शिक्षा सुना करते, भ्रातृत्व के निर्वाह में ईमानदार से करते और प्रभु-भोज तथा सामूहिक
प्रार्थनाओं में नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे। "(प्रेरित चरित 2, 42)।
यह
हमें इस बात के लिये आमंत्रित करती है कि हम एकता के उन चार स्तंभों पर मनन-चिन्तन करें
जो आरंभिक ख्रीस्तीय समुदाय का आधार था।
पहला, प्रेरितों के द्वारा घोषित प्रभु
येसु मसीह के सुसमाचार के प्रति वफ़ादारी ।
दूसरा, भ्रातृप्रेम, जो आज ख्रीस्तीयों
की अंतरकलीसियाई वार्ता और मित्रता में स्पष्ट रूप से झलकती है।
तीसरा, एक ही
रोटी का तोड़ा जाना उसमें से भोजन करना, जो आज संभव नहीं हो पाया है क्योंकि ख्रीस्तीय
विभिन्न समुदायों में बँटे हुए हैं।
आज यूखरिस्तीय भोज ख्रीस्तीयों को इस बात
की याद दिलाती है कि व् अब तक ख्रीस्तीय एकता के उस लक्ष्य तक नहीं पहुँच पायें हैं जिसकी
कल्पना येसु मसीह अपने अनुयायियों के लिये की थी। यह ख्रीस्तीयों के लिये एक सुअवसर
है जब वे एकता के मार्ग में आने वाले सभी बाधाओं को दूर करें। और चौथा आधार है – प्रार्थना,
जो हमें इस बात का स्मरण दिलाता है कि हम एक पिता ईश्वर की संतान हैं, और क्षमा और मेल-मिलाप
के लिये बुलाये गये हैं।
इस ख्रीस्तीय एकता सप्ताह में हम सभी ईसाइयों के लिये
प्रार्थना करें ताकि वे सुसमाचार के प्रति वफ़ादार बनें, भ्रातृभावपूर्ण एकता बनायें
रखें और पूरे उत्साह कार्य करने ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को मसीह की मुक्ति की एकता का
अनुभव करा सकें
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने
फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों तथा बोसी के ग्रजुएट स्कूल
ऑफ एक्युमेनिकल स्टडीस के विद्यार्थियों और प्राध्यपकों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार
के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।