गुजरातः ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलों ने संयुक्त राष्ट्र संघीय अधिकारी से मुलाकात की
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलों ने, 17 जनवरी को, संयुक्त
राष्ट्र संघीय अधिकारी मार्ग्रेट सेकाग्या से मुलाकात कर शिकायत की कि निर्धनों के मानवाधिकारों
के पक्ष में काम करने के कारण गुजरात सरकार उन्हें परेशान करती रही है।
गुजरात,
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में कार्यरत मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं से मुलाकात
हेतु मार्ग्रेट सेकाग्या ने 17 जनवरी को अहमदाबाद की भेंट की थी।
ख्रीस्तीय दलों
ने शिकायत की आदिवासियों एवं दलितों की सेवा करने के कारण सरकार उनके साथ द्वितीय श्रेणी
के नागरिकों जैसा व्यवहार करती है।
गुजरात में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के
नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार सन् 1995 से शासन करती रही है।
काथलिक
पुरोहित और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, येसु धर्मसमाजी फादर सैडरिक प्रकाश ने बताया कि
सन् 2004 में गुजरात सरकार ने उन्हें देशद्रोही करार दिया था तथा उनके विरुद्ध मामला
दर्ज़ कर उनके पासपोर्ट को जब्त करना चाहा था।
ग़ौरतलब है कि फादर सैडरिक प्रकाश
उन लोगों की मदद के लिये विख्यात हैं जो सन् 2002 के हिन्दु मुसलिम दंगों से प्रभावित
हुए थे। इन दंगों में कम से कम 2000 व्यक्तियों की मौत हो गई थी जिनमें अधिकांश मृत मुसलमान
थे।
संयुक्त राष्ट्र संघीय अधिकारी को लिखे एक पत्र में फादर प्रकाश ने कहा,
"मानवाधिकारों के अतिक्रमण पर मेरे विरोध के कारण कलीसियाई संस्थाओं एवं अनेक कार्यकर्त्ताओं
को उन चीज़ों से वंचित रखा गया है जिसका उन्हें कानूनन अधिकार है।
इसी बीच, मुसलमान
वकील सुहैल तिरमिज़ी ने कहा कि सरकार ने पाँच ऐसे वकीलों के लाईसेन्स रद्द करने का व्यर्थ
प्रयास किया था जो सन् 2002 के दंगों से प्रभावित लोगों के पक्ष में काम कर रहे थे। गुजरात
के पूर्व पुलिस निदेशक आर.बी. श्री कुमार के अनुसार सरकार अपने उन अधिकारियों को दण्ड
देती है जो अल्पसंख्यकों की रक्षा का प्रयास करते हैं। श्री कुमार की पदोन्नति को भी
इसी कारण रोक दिया गया था।
एक और हिन्दु मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, मल्लिका साराबाई,
ने बताया कि जब उन्होंने सन् 2002 के मुसलमान विरोधी दंगों के लिये मोदी सरकार को ज़िम्मेदार
ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपील की तब गुजरात सरकार ने उनके ही कर्मचारियों को उनके
विरुद्ध मामला दर्ज़ करने पर मजबूर किया था।