देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 16 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का
पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो
और बहनो,
इस रविवार को प्रवासियो और शरणार्थियों का विश्व दिवस मनाया जा रहा है
जो हमें प्रतिवर्ष अनेक नर और नारी, तथा असंख्य परिवारों को जो जीवन की बेहतर संभावनाओं
की खोज में अपने देश को छोड़ते हैं उनके अनुभवों पर मनन चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता
है। यदा कदा प्रवसन स्वैच्छिक है, कभी कभार दुर्भाग्यवश यह युद्ध और अत्याचार के कारण
बलात होता है और बहुत बार हम जानते हैं कि यह गंभीर परिस्थितियों में होता है। इन सबके
कारण शरणार्थियों संबंधी संयुक्त राष्ट्र संघीय आयोग का गठन 60 साल पहले किया गया था।
क्रिसमस के तुरंत बाद पवित्र परिवार के पर्व दिन हमने गौर किया यहां तक कि येसु के अभिभावकों
को अपनी भूमि से भागना पडा था और अपने बच्चे- मसीह, ईश पुत्र शरणार्थी बने, उनके जीवन
को बचाने के लिए उन्हें मिस्र में शरण लेनी पडी थी। कलीसिया ने स्वयं प्रवसन का जाना
है। यदा कदा दुर्भाग्यवश, ईसाई पीड़ा सहित अपनी भूमि छोड़ने के लिए विवशता महसूस करते
हैं और इस प्रकार से उस देश को कमजोर, निर्धन बनाते हैं जहाँ उनके पूर्वजों ने जीवन जीया।
दूसरी ओर, विभिन्न कारणों से ईसाईयों का स्वैच्छिक प्रवसन, जो एक शहर से दूसरा शहर, एक
देश से दूसरा देश, एक महाद्वीप से दूसरा महाद्वीप होता है यह अवसर उपलब्ध कराता है कि
वे ईशवचन की मिशनरी गत्यात्मकता का प्रसार करें। वे ख्रीस्त के रहस्यमय शरीर में विश्वास
का साक्ष्य दें जो लोगों और संस्कृतियों को पार करते हुए नये क्षितिज, नवीन वातावरणों
तक पहुँचें।
एक मानव परिवार यह मेरे संदेश का शीर्षक है जिसे मैंने आज के चिंतन
के लिए तैयार किया है। यह वह शीर्षक है जो अंत को दिखाता है, विभिन्न सदियों में मानवजाति
की महान यात्रा के लक्ष्य को- एक परिवार का निर्माण, स्वाभाविक रूप से उन सब भिन्नताओं
के साथ जो इसे बिना बाधाओं के समृद्ध बनाता है, सबको बंधु या भाई के रूप में मान्यता
प्रदान करता है। द्वितीय वाटिकन महासभा इस प्रकार कहती है- सबलोग एक समुदाय की संरचना
करते हैं। उनकी एक ही उत्पत्ति है, क्योंकि ईश्वर ने सम्पूर्ण मानवजाति को बनाया जो पृथ्वी
के सब जगह निवास करे। महासभा आगे कहती है कि कलीसिया ख्रीस्त में एक संस्कार है अर्थात
ईश्वर के साथ तथा सम्पूर्ण मानवजाति की संयुक्तता की अंतरंग एकता का साधन और चिह्न।
इसी
कारण से यह ईसाईयों के लिए मौलिक बात है कि यद्यपि वे विश्व भर में फैले हैं तथापि संस्कृतियों
और परम्पराओं में भिन्न होने के बावजूद एक हों जैसा कि ईश्वर चाहते हैं। यही उद्देश्य
है ख्रीस्तीय एकता के प्रार्थना सप्ताह का जो आगामी दिनों में 18 से 25 जनवरी तक सम्पन्न
होगा। इस वर्ष यह प्रेरित चरित के अध्याय 2 के 42 वें पद से उत्प्रेरित है- विश्वासी
दत्तचित्त होकर प्रेरितों की शिक्षा सुना करते थे, भ्रातृत्व के निर्वाह में ईमानदार
थे और प्रभु भोज तथा सामूहिक प्रार्थनाओं में नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे।
ख्रीस्तीय
एकता का अठवारा के ठीक पहले कल यहूदी काथलिक संवाद का दिन है, एक महत्वपूर्ण घटना जिसमें
यहूदियों और ईसाईयों को संयुक्त करनेवाली सामान्य मूल जड़ों का स्मरण किया जाता है।
कुँवारी माता मरिया की ओर मुखातिब होकर हम सब प्रवासियों और जो लोग उनकी मेषपालीय
सेवा करते हैं उन सबको देवदूत प्रार्थना के साथ उनके संरक्षण के सिपुर्द करते हैं। ख्रीस्त
के सब अनुयायियो के मध्य पूर्ण सामुदायकिता की दिशा में अग्रसर होनेवाली यात्रा में प्रगति
हो यह कृपा मरिया, कलीसिया की माँ, हमारे लिए प्राप्त करें।
इतना कहने के बाद
संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान
किया।
तदोपरांत संत पापा ने इताली भाषा में कहा- अतिप्रिय भाईयो और बहनो, जैसा
कि आप जानते हैं पहली मई को मुझे मेरे पूर्वाधिकारी, वंदनीय संत पापा जोन पौल द्वितीय
को धन्य घोषित करने की खुशी मिलेगी। जिस तिथि का चयन किया गया है इसकी गहन सार्थकता है।
यह दिन पास्का के बाद का रविवार होगा जिसे उन्होंने स्वयं ईश्वर की दिव्य करूणा को समर्पित
किया था और इसी दिवस की पूर्वसंध्या उनके पार्थिव जीवन का समापन हुआ था। जो उन्हें जानते
हैं, जिन्होंने उनका सम्मान किया और उनसे प्रेम किया वे इस घटना के लिए कलीसिया के साथ
आनन्द मना सकते हैं। हम सब खुश हैं।
इसके बाद संत पापा ने कहा- मैं आस्ट्रेलिया,
ब्राजील, फिलीपीन्स और श्रीलंका के लोगों को प्रार्थना में स्मरण करने का मैं विशेष आश्वासन
देना चाहता हूँ जहाँ बाढ का विनाशक प्रभाव हुआ है। ईश्वर मृतकों की आत्माओं को ग्रहण
करें, विस्थापित हुए लोगों को शक्ति दें तथा पीड़ा और दुःख दूर करने के काम में संलग्न
लोगों को सहायता प्रदान दें।
संत पापा ने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित
करते हुए कहा- आज यहाँ उपस्थित अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का मैं हार्दिक
अभिवादन करता हूँ। अगले मंगलवार को हम ख्रीस्तीय एकता के प्रार्थना सप्ताह को आरम्भ कर
रहे हैं। मैं आप सब लोगों को आमंत्रित करता हूँ कि प्रार्थना में मेरे साथ संयुक्त हों
और प्रभु येसु ख्रीस्त, ईश्वर का मेमना जो संसार के पाप हर लेते हैं, उनके अनुयायियों
के मध्य एकता के उपहार के लिए गहन रूप से प्रार्थना करें। आज यहाँ उपस्थित आप सब पर तथा
आपके परिजनों और घर में रह रहे प्रियजनों पर मैं प्रचुर मात्रा में ईश्वर की आशीष की
कामना करता हूँ।