वाटिकन सिटी, 15 जनवरी, 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि काथलिक धर्म
का केन्द्र और इटली की राजधानी रोम शहर की एक विशेष भूमिका यह है कि वह हितकारी राज्य-चर्च
सहयोग का नमूना प्रस्तुत करे। संत पाप ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने रोम
तथा प्रांतीय प्रशासनिक अधिकारियों को अपने परंपरागत वार्षिक भेंट में संबोधित किया ।
संत पापा ने 14 जनवरी शुक्रवार को रोम और लासयो प्रांत के अध्यक्ष और रोम के मेयर
से मुलाक़ात की। संत पापा ने कहा कि वाटिकन और प्रांतीय प्रशासकीय अधिकारियों को
चाहिये कि वे एक पुरुष और एक महिला के आधार पर विवाह द्वारा निर्मित पारिवारिक मूल्यों
की रक्षा, मानव की मर्यादा, बुजूर्गों की देख-भाल और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये
संयुक्त प्रयास करें। संत पापा ने परिवार के बार में बोलते हुए कहा कि परिवार में
ही बच्चे मानव और ख्रीस्तीय मूल्यों को सीखते और रचनात्मक शांतिपूर्ण सहअस्थित्व को संभव
बनाना सीखते हैं।" " परिवारो में विभिन्न पीढ़ियों के बीच सहयोग की भावना नियमों
का सम्मान क्षमा और प्रेम का पाठ सीखा जाता है। परिवार में ही युवा अपने माता-पिताका
स्नेह पाते हैं और प्रेम के सच्चे अर्थ को समझते हैं। " संत पापा ने कहा कि इन्हीं
बातों के ध्यान देते हुए " सामाजिक नीतियों को चाहिये कि वे पारिवारों की मदद करें विशेषकर
मातृत्व की अपना समर्थन दें। उन्होंने कहा कि " ऐसे माताओं को जो विभिन्न कामों से जुड़े
हुए हैं सरकार मदद दे ताकि वे काम और परिवार दोनों के बीच सामंजस्य बना सकें। कई बार
महिलाओं को ऐसी स्थिति में डाल दिया जाता है कि काम या तो परिवार को चुनना उनकी मजबूरी
होती है। संत पापा ने पारिवार द्वारा संचालित नर्सरी की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी
संस्थायें यह दिखातीं है कि बच्चे एक बोझ नहीं पर एक ईश्वरीय वरदान और अपार आनन्द हैं।
" संत पापा ने इस बात को भी बताया कि " कलीसिया उन पहलों की सराहना करते हैं जिनमें
युवाओं को यह बताया जाता है कि उनका प्रेम दूसरे के लिये एक सेक्स के प्रति सम्मानपूर्ण
दृष्टि के साथ स्वयं का प्रेमोपहार हो।" उन्होंने कहा कि वे चाहते है कि " युवाओं
को ऐसी शिक्षा दी जाये जो मानव को एक उपभोग की वस्तु नहीं बनाता पर इसे ऐसा प्रस्तुत
करता है जो मानव जीवन के अस्तित्व को अर्थपूर्ण करे। संत पापा ने कहाकि क्षेत्र में जितने
गर्भपात हो रहे हैं उसके प्रति ‘एक व्यक्ति तटस्थ नहीं रह सकता है’ ।" बुजूर्गों
के बारे में पोप ने कहा कि " वयस्क समाज की समृद्धि है " । उन्होंने लोगों से अपील की
कि वे मानव जीवन का सम्मान प्राकृतिक मृत्यु तक करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न विषम
परिस्थितियों के बावजूद सरकार को चाहिये कि वह काम संबंधी ऐसी नीति बनाये जो युवाओं को
काम की गारंटी दे जो बाद में एक ऐसी स्थिति को जन्म दे कि सम्मानपूर्वक जीवन जीने के
लिये नया परिवार बसा सके। संत पापा ने अधिकारियों से कहा कि वे ईशवचन के द्वारा समस्यायों
के समाधान की प्रेरणा पायें और उन्हें अपनी प्रार्थना का पूर्ण आश्वासन दिया।