2011-01-12 12:48:48

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
12 जनवरी, 2011


रोम,12 जनवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा माला में 15वीं शताब्दी की जेनेवा की संत कथरीना के जीवन पर मनन-चिन्तन करें जिसे काथलिक कलीसिया उसके शोधक अग्नि संबंधी अंतर्दृष्टि के कारण याद करती है।

कथरीना का विवाह युवाकाल ही में हो गया था और अपने विवाह के 10 साल बाद उन्हें एक प्रभावशाली आध्यात्मिक अनुभव हुआ।

अपनी अंतर्दृष्टि में कथरीना ने येसु को देखा, जो क्रूस ढोये हुए थे । येसु ने कथरीना को मानव के पाप और ईश्वर की असीम दया के बारे में समझाया।

एक नम्र महिला के रूप में कथरीना ने प्रार्थना और सेवामय जीवन को एक साथ समाहित कर लोगों की सेवा में अपने को समर्पित कर दिया। कथरीना ने जेनेवा के सबसे बड़े अस्पताल में लोगों को अपनी सेवायें दीं।

सच पूछा जाये तो कथरीना ने शोधकअग्नि या ‘परगेट्ररी’ के बारे में कोई नयी बात नहीं बताया पर उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभव के आधार पर बताया कि शोधकअग्नि का समय अपनी आत्मा को शुद्ध करने का समय है ताकि हम ईश्वर के साथ पूर्णतः एक हो सकें।

उन्होंने बताया कि यद्यपि ईश्वर ने मानव के सभी पाप के दागों को घो डाला है हमारी आत्मा ईश्वर की असीम दया और न्याय के समक्ष जाने में अत्याधिक पीड़ा होती है। ईश्वर के क्षमा करने की ईश्वरीय दया को समझाने के लिये कथरीना ने सोने की चेन का उदाहरण दिया है।

जिस तरह सोने की चेन मानव को आकर्षित करता है उसी तरह ईश्वर की दया हमारी आत्मा को अपनी ओर खींचता है।

जेनेवा की कथरीना का जीवन और उसकी शिक्षा आज हमें प्रेरित करे ताकि हम प्रार्थना और सेवा के महत्व को समझें और जेनेवा की कथरीना के समान ही प्रार्थनामय और सेवामय जीवन मे बितायें।

आज हम उनके लिये प्रार्थना करें जो हमसे पहले इस दुनिया गुज़र चुके हैं। साथ ही

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने फिनलैंड, माल्टा, चीन, इंडोनेशिया, अमेरिका के तीर्थयात्रियों विद्यार्थियों प्राध्यपकों उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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