वाटिकन सिटी, 10 जनवरी, 2011 (ज़ेनित) संत पापा ने अपने ही उदाहरण से इस बात की पुष्टि
की है कि " ख्रीस्त जयन्ती एक ऐसा अवसर है जब हम उनके साथ सहानुभूति दिखायें जो कमजोर
हैं।"
उक्त बात वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर लोमबार्दी ने उस समय कही जब उन्होंने
वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में संत पापा के क्रिसमस मनाने
के बारे में अपने चिन्तन प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा कि "क्रिसमस काल में संत
पापा ने बच्चों और गरीबों के लिये अपना समय निकालने से नहीं चुकते हैं।" इस वर्ष भी
उन्होंने 26 दिसंबर को धन्य मदर तेरेसा की धर्मबहनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गरीबों
एवं कमजोरों के साथ भोजन किया और 5 जनवरी को रोम स्थित जेमेल पोलिक्लिनिक में बच्चों
के साथ अपना समय बिताया मनाया।
फादर लोमबारदी ने बताया कि कि यह एक छोटा-सा चिह्न
मात्र है पर बहुत ही अर्थपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संत पापा ने जो कुछ किया " वह जल्दबाज़ी
में की गयी औपचारिकता नहीं बल्कि कलीसियाई जीवन और संत पापा की सेवामय जीवन का सार है।"
उन्होंने कहा आरंभिक दिनों में संत पापा के लेखों का सार रहा है " ईश्वर दयावान
हैं, ईश्वर प्रेम है ।" येसु के दिल में ग़रीबों और बीमारों के लिये विशेष जगह थी। उन्होंने
उनका स्वागत किया और उन बच्चों को गले लगाया जो उनके पास आये।
ख्रीस्त जयन्ती
काल आज सबों को इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि हम भी उस ईश्वर के समान जिसने शिशु
का रूप लेकर इस धरा पर उतरा ताकि हम शिशुओं में उनके रूप को पहचान सकें, सस्नेह उनका
स्वागत करें और हर नये, नाजुक और ज़रूरतमंद शिशु की देखभाल करें । यह केवल ख्रीस्त जयंती
काल का संदेश नहीं है पर ऐसा करना हमारा दैनिक दायित्व है।
"कलीसिया प्रार्थना
करती, ईशवचन सुनती और यूखरिस्तीय समारोह में ईश्वर का अनुभव करती है पर उसे चाहिये कि
वह उन बच्चों और जो मानवीय और सामाजिक रूप नज़रअंदाज़ कर दिये जाते हैं उन लोगों से सक्रिय
प्रेम करे। "
फादर लोमबारदी ने कहा कि संत पापा ने क्रिसमस के समय जो आदर्श
प्रस्तुत किया है इसे वे हरदम और हर प्रेरेतिक यात्रा में भी दर्शाते हैं।