वाटिकन सिटीः नववर्ष के दिन देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा का सन्देश
वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, पहली जनवरी, सन् 2011 को, नववर्ष
के उपलक्ष्य में देश विदेश से रोम आये तीर्थयात्रियों को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने इस प्रकार सम्बोधित किया,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, 2011 के इस प्रथम
देवदूत प्रार्थना के अवसर पर, मैं सबको, पवित्रतम कुँवारी मरियम की मध्यस्थता के सिपुर्द
करते हुए, सबके प्रति शांति एवं कल्याण की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। नववर्ष
के आरम्भ में ख्रीस्तीय प्रजा आध्यात्मिक रूप से बेथलेहेम के गऊशाले के इर्द गिर्द एकत्र
होती है, जहाँ कुँवारी मरियम ने येसु को जन्म दिया था। माँ से हम आशीर्वाद की याचना करें,
जो ईशपुत्र को प्रदर्शित कर हमें आशीष देती है, वस्तुतः येसु ख़ुद हम सबका आशीर्वाद है।
येसु को हमें देकर, प्रभु ईश्वर ने हमें सबकुछ दे दिया हैः उनका प्रेम, उनका जीवन, सत्य
का प्रकाश, पापों की क्षमा; उन्होंने हमें शांति प्रदान की है; जैसा कि सन्त पौलुस एफेसियों
को लिखते हैं: "येसु ख्रीस्त ही हमारी शांति हैं।" उन्होंने इस विश्व में प्रेम और शांति
का बीज बोया जो घृणा एवं हिंसा के बीज से कहीं अधिक शक्तिशाली है; अधिक शक्तिशाली इसलिये
कि येसु नाम अन्य सभी नामों से श्रेष्ठ है, जिसमें, जैसा कि नबी मीकाह ने भविष्यवाणी
की, ईश्वर की सारी प्रभुता निहित हैः "बेथलेहेम एफ्राता! तू यूदा के वंशों में छोटा है।
जो इस्राएल का शासन करेगा, वह मेरे लिए तुझ में उत्पन्न होगा। उसकी उत्पत्ति सुदूर अतीत
में, अत्यन्त प्राचीन काल में हुई है। इसलिए प्रभु उन्हें तब तक त्याग देगा, जब तक उसकी
माता प्रसव न करे। तब उसके बचे हुए भाई इस्राएल के लोगों से मिल जायेंगे। वह उठ खडा हो
जायेगा, वह प्रभु के सामर्थ्य से तथा अपने ईश्वर के नाम प्रताप से अपना झुण्ड चरायेगा।
वे सुरक्षा में जीवन बितायेंगे, क्योंकि वह देश के सीमान्तों तक अपना शासन फैलायेगा और
शांति बनाये रखेगा। जब अस्सूरी लोग हमारे देश पर आक्रमण करेंगे और हमारी भूमि में घुसपैठ
करेंगे, तब हम उनके विरुद्ध सात चरवाहों और आठ शासकों को नियुक्त करेंगे।"
सन्त
पापा ने आगे कहाः ........ "इसीलिये, शांतिदाता, येसु ख्रीस्त के द्वारा, इस दिन कलीसिया
कुँवारी मरियम की प्रतिमा के आगे नतमस्तक होती हैः विश्व शांति दिवस वह सुअवसर है जब
हम उन महान चुनौतियों पर चिन्तन कर सकते हैं जिनका आज, मानवजाति को सामना करना पड़ रहा
है। हमारे युग की इन चुनौतियों में से एक अति अनिवार्य चुनौती है, धार्मिक स्वतंत्रता,
इसीलिये इस वर्ष के विश्व शांति दिवस के सन्देश का शीर्षक मैंनेः "धार्मिक स्वतंत्रता,
शांति का मार्ग" रखा है। आज हम दो विरोधाभासी प्रवृत्तियों को देख रहे हैं, दो नकारात्मक
अतियों की प्रवृत्तियों को देख रहे हैं, एक ओर धर्म को अन्य क्षेत्रों से अलग रखने की
प्रवृत्ति जो प्रायः, चालाकी से, धर्म को व्यक्तिगत चीज़ तक सीमित कर देती है तो दूसरी
ओर धर्मान्धता, जो हर प्रकार से अपने मत को अन्यों पर बलपूर्वक थोपना चाहती है। वस्तुतः,
ईश्वर मानवजाति को प्रेम की योजना द्वारा अपने निकट बुलाते हैं जिसमें व्यक्ति के प्राकृतिक
एवं आध्यात्मिक दोनों आयाम सम्मिलित रहते हैं, ताकि मनुष्य ज़िम्मेदारी एवं स्वतंत्रता
के साथ वैयक्तिक एवं सामुदायिक जीवन यापन कर सके। जहाँ धर्म पालन की स्वतंत्रता का सम्मान
किया जाता है वहाँ मानव प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाता तथा सत्य एवं भलाई की निष्कपट
खोज की जाती है। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान ही लोगों के अन्तःकरणों को नैतिक रूप से
ठोस बनाता तथा संस्थाओं एवं नागर सहअस्तित्व को मज़बूत करता है। इसीलिये, धार्मिक स्वतंत्रता
ही शांति निर्माण का सर्वोत्तम मार्ग है।"
ऊन्होंने आगे कहाः ...... "अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, एक बार फिर हम, माँ मरियम की गोद में पड़े बालक येसु को निहारे। शांति
के राजकुमार, येसु को देखकर हम यह समझ पायेंगे कि शांति न तो हथियारों से और न ही आर्थिक,
राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं मीडियाई सत्ता से हासिल की जा सकती है। शांति उन अन्तःकरणों
का कार्य है जो स्वतः को सत्य एवं प्रेम के प्रति उदार रखते हैं। प्रभु से हम याचना करें
कि हमें दिये गये इस नये साल में हम इसी नेक रास्ते पर आगे बढ़ते रहें तथा इसके लिये
हमें प्रभु की मदद मिलती रहे।"
इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके
प्रति नववर्ष की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं तथा सभी पर ईश्वर की कृपा एवं शांति का आह्वान
कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ...............