भोपाल, 30 दिसंबर, 2010 (उकान) भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेयो कोरनेलियो ने कहा है कि
मुक्त और आवश्यक शिक्षा संबंधी कानून को लागू करते समय ईसाइयों के हितों को ध्यान देना
होगा। महाधर्माध्यक्ष ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने 29 दिसंबर बुधवार को
मध्यप्रदेश की शिक्षामंत्री अर्चना चितनिस से मुलाक़ात की। विदित हो कि महाधर्माध्यक्ष
लेओ मध्यप्रदेश काथलिक कलीसिया की शिक्षा विभाग के अध्यक्ष हैं। वार्ता के बारे में बताते
हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री का जवाब सकारात्मक रहा। विदित हो कि विगत वर्षों
में केन्द्र ने शिक्षा का अधिकार विधेयक के लाने के पूर्व के विचार-विमर्श के समय ईसाइयों
को नज़रअंदाज़ कर दिया था। शिक्षा का अधिकार विधेयक के अनुसार 6 से 14 आयु के बच्चों
के मुफ्त़ शिक्षा दी जायेगी। इसके साथ प्रथम 25 प्रतिशत स्थानों को गरीब बच्चों के लिये
सुरक्षित रखने का प्रावधान है। महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि कलीसिया को भय है कि
इससे अल्पसंख्यकों को अपनी संस्थाओं को अपने चलाने के अधिकार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
महाधर्माध्यक्ष ने बताया की पूरे राज्य में ईसाई करीब 1 हज़ार संस्थायें चलाते हैं
पर सरकार ने इस संबंध में चर्च से कोई " विचार-विमर्श " नहीं किया है। विधेयक के
अनुसार स्कूलों को विद्यार्थियों से नाममात्र की फीस जमा करने का प्रावाधान है जो गुणवत्ता
शिक्षा के लिये पर्याप्त नही होगा। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि विद्यार्थियों के यूनिफॉर्म
किताब नोटबुक और अन्य ज़रूरतों के खर्च कहाँ से मुहैया कराये जायेंगे। मध्यप्रदेश
की काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता फादर आनन्द मुत्तुंगल ने कहा कि वे चाहते हैं कि शिक्षा
का अधिकार विधेयक के प्रावधानों को सरकार अधिक स्पष्ट करे। उधर सरकारी सूत्रों ने
बताया कि सरकार 15 जनवरी तक शिक्षा संबंधी स्पष्ट निर्देशन प्रकाशित कर देगी।