2010-12-25 12:34:00

वाटिकन सिटीः रोम शहर तथा विश्व के नाम सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का ख्रीस्तजयन्ती सन्देश तथा विभिन्न भाषाओं में क्रिसमस की शुभकामनाएँ


श्रोताओ, आज ख्रीस्त जयन्ती है। 25 दिसम्बर को पड़नेवाले, मुक्तिदाता प्रभु येसु मसीह के जन्म दिवस को हम बड़ा दिन, क्रिसमस या मसीही जयन्ती के नाम से जानते हैं। सभी श्रोताओ को इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे आपको तथा आपके परिवारोव एवं मित्रों को अपने प्रेम एवं आनन्द से परिपूर्ण कर दें। .....................

श्रोताओ, येसु मसीह की जयन्ती मनाने देश विदेश से रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, शनिवार 25 दिसम्बर को एकत्र तीर्थयात्रियों के समक्ष, रोम समयानुयार दिन के 12 बजे सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के उपलक्ष्य में रोम शहर तथा विश्व के नाम अपना विशिष्ट सन्देश जारी किया, उन्होंने कहाः ........


“Verbum caro factum est” - "शब्द देह बना" (योहन 1: 14)

रोम तथा सम्पूर्ण विश्व में मुझे सुननेवाले प्रिय भाइयो एवं बहनो, हर्षपूर्वक मैं क्रिसमस सन्देश की उदघोषणा करता हूँ: ईश्वर मानव बने; वे हमारे बीच निवास करने आये। ईश्वर दूर नहीं हैं: वे "इम्मानुएल", अर्थात् ईश्वर–हमारे-साथ हैं। वे कोई अजनबी नहीं: उनका एक चेहरा है, येसु का चेहरा।

यह सन्देश नित्य नया है, नित्य आश्चर्यचकित कर देनेवाला है, इसलिये कि यह हमारी सबसे निर्भीक आशा के भी परे है। सर्वप्रथम, इसलिये कि यह एक उदघोषणा मात्र नहीं हैः यह एक घटना है, एक सम्पादन है, जिसे विश्वसनीय साक्षियों ने देखा, सुना तथा जिसका उन्होंने, नाज़रेथ के येसु के व्यक्तित्व में स्पर्श किया। उनकी उपस्थिति में रहकर, उनके कार्यों का दीदार कर तथा उनके वचनों को सुनकर उन्होंने येसु में मसीह को पहचाना; तथा उनके क्रूसमरण के बाद उन्हें पुनर्जीवित देखकर, वे इस बात के प्रति निश्चित हुए कि वे सच्चे मानव एवं सच्चे ईश्वर थे, पिता से आनेवाले ईश्वर के एकलौते पुत्र, कृपा एवं सत्य से परिपूर्ण (योहन 1:14)

"शब्द देह बना" इस प्रकाशना के समक्ष हम एक बार फिर विचार करते हैं कि ऐसा किस तरह सम्भव हो सकता है? शब्द एवं देह दोनों परस्पर विरोधी वास्तविकताएँ हैं; अनन्त और सर्वशक्तिमान् शब्द कैसे एक कमज़ोर एवं नश्वर मानव बन सकता है? इसका एक ही उत्तर हैः प्रेम। जो प्रेम करता है वह अपने प्रेमी के साथ सबकुछ बाँटना चाहता है, उसके साथ एक होना चाहता है, और पवित्र धर्मग्रन्थ हमारे समक्ष अपनी प्रजा के प्रति ईश्वर के महान प्रेम की कहानी प्रस्तुत करते हैं जो येसु ख्रीस्त में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची।"

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने आगे कहाः "सच तो यह है कि ईश्वर बदलते नहीं: वे अपने आप के प्रति निष्ठावान रहते हैं। वे, जिन्होंने विश्व की सृष्टि की, वही हैं, जिन्होंने, अब्राहम को बुलाया तथा मूसा के सामने अपना नाम प्रकट कियाः "मैं जो हूँ वही हूँ ............. अब्राहम, ईसाक और याकूब का ईश्वर........करुणामय और कृपालु ईश्वर, अनुकम्पा और सत्यप्रतिज्ञता का धनी (निर्गमन ग्रन्थः 3:14-15; 34:6)। ईश्वर कभी नहीं बदलते; ईश्वर प्रेम हैं सदा और सर्वदा। वे अपने आप में सहभागिता हैं, त्रियेक में एक, तथा उनका हर शब्द एवं हर कार्य सहभागिता की ओर अभिमुख रहते है। देहधारण सृष्टि का चरमोत्कर्ष है। जब येसु, देहधारी ईशपुत्र, पिता की इच्छा एवं पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से, मरियम के गर्भ में विकसित हुए, तब सृष्टि अपने चरम बिन्दु पर पहुँची। ब्रहमाण्ड को आदेशित करनेवाले सिद्धान्त, "लोगोस" ने, एक निश्चित्त समय और अन्तराल में, विश्व में अस्तित्व धारण करना आरम्भ किया।

"शब्द देह बना"। इस सत्य का प्रकाश उनपर प्रकट होता है जो विश्वासपूर्वक इसे ग्रहण करते हैं क्योंकि यह प्रेम का एक रहस्य है। केवल वे लोग जो प्रेम के प्रति उदार हैं वे ही क्रिसमस की ज्योति से आलोकित होते हैं। ऐसा, बेथलेहेम में उस रात था और, आज भी है। ईश पुत्र का देहधारण ऐसी घटना है जो इतिहास में सम्पादित हुई, और साथ ही वह इतिहास के परे भी है। विश्व की अन्धेरी रात में एक नई ज्योति प्रज्वलित हुई, ऐसी ज्योति जो विश्वास की सरल आँखों से, विनीत एवं विनम्र हदृयों से मुक्तिदाता की प्रतीक्षा करनेवालों द्वारा देखी जा सकती है। यदि सत्य एक गणितीय फारमुला मात्र होता तो, किसी प्रकार से, वह अपनी निजी शक्ति से स्वतः को अन्यों पर थोपता। किन्तु यदि सत्य प्रेम है, तो वह विश्वास की मांग करता है, वह हमारे हृदयों की "हाँ" की मांग करता है।

और, हमारा हृदय, वास्तव में, चाहता क्या हैं, क्या वह ऐसा सत्य नहीं चाहता जो, साथ ही साथ, प्रेम भी हो? बच्चे इसे अपने अस्त्रहीन एवं जिज्ञासु प्रश्नों से खोजते हैं; युवा व्यक्ति अपने जीवन के गहनतम अर्थ को ढूँढ निकालने की उत्सुकता में इसे खोजते हैं; वयस्क, परिवारों एवं कार्यस्थलों के प्रति अपने दायित्वों के निर्वाह हेतु, मार्गदर्शन एवं समर्थन पाने के लिये इसे खोजते हैं; वृद्ध व्यक्ति इस धरती पर अपने अस्तित्व को परिपूर्णता प्रदान करने के लिये इसे खोजते हैं।

"शब्द देह बना"। क्रिसमस की उदघोषणा, सब लोगों एवं सब जातियों के लिये, प्रकाश है, यह, मानवजाति की सामूहिक तीर्थयात्रा के लिये प्रकाश है। "इम्मानुएल" ईश्वर हमारे साथ हैं, न्याय और शान्ति के राजा रूप में आये हैं। हम जानते हैं कि उनका राज्य इस संसार का नहीं है, तथापि, यह राज्य विश्व के अन्य सभी राज्यों से अधिक महत्वपूर्ण है। यह मानवजाति के ख़मीर के सदृश हैः यदि यह ख़मीर कम पड़ जाये तो वह शक्ति ख़त्म हो जायेगी जो विकास को आगे बढ़ाती हैः सर्वजन कल्याण के लिये कार्य करने, पड़ोसी की निःस्वार्थ सेवा करने, न्याय के लिये शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष करने की प्रेरणा ही समाप्त हो जायेगी। हमारे इतिहास के भागीदार बननेवाले, ईश्वर में विश्वास, हमें, स्वयं इतिहास के प्रति अपने समर्पण को नवीकृत करने के लिये प्रोत्साहन देता है यद्यपि वह विरोधाभासों से परिपूर्ण है। यह उन सब के लिये आशा का स्रोत है जिनकी प्रतिष्ठा का अपमान हुआ है या उल्लंघन हुआ है इसलिये कि बेथलेहेम में जन्म लेनेवाले प्रभु प्रत्येक पुरुष एवं प्रत्येक स्त्री को हर प्रकार की दासता से मुक्त करने आये।"

सन्त पापा ने आगे कहाः ........ "मेरी मंगलकामना है कि जिस भूमि पर येसु ने जन्म लिया वहाँ पुनः क्रिसमस का प्रकाश प्रज्वलित हो, तथा इसराएलियों एवं फिलीस्तीनीयों को न्याय एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व हेतु संघर्ष करने की प्रेरणा प्रदान करे। आनेवाले इम्मानुएल का सान्तवनादायी सन्देश कष्टों को दूर करे तथा कठिनाइयों से घिरे ईराक एवं सम्पूर्ण मध्यपूर्व के प्रिय ख्रीस्तीय समुदायों के लिये सान्तवना का स्रोत बने; वह उनके भविष्य के लिये विश्रान्ति एवं आशा लाये तथा देशों के नेताओं को उनके प्रति प्रभावात्मक एकात्मता प्रदर्शित करने के लिये प्रेरणा दे। ऐसा ही हेयटी के लोगों के लिये भी हो जो अब तक भीषण भूकम्प के परिणामों एवं हैज़े महामारी के प्रकोप से जूझ रहे हैं। ऐसा ही केवल कोलोम्बिया और वेनेज्यूएला के लोगो के लिये ही सच न हो बल्कि गवाटेमाला एवं कॉस्तारिका के लोगों के लिये भी जिन्होंने हाल की प्राकृतिक आपदाओं का कहर सहा।"

अफ्रीका एवं एशिया महाद्वीप के लिये मंगलकामना अर्पित करते हुए सन्त पापा ने आगे कहाः "मुक्तिदाता का जन्म सोमालिया, डारफुर और आयवरी कोस्ट के लोगों के लिये स्थायी शान्ति एवं यथार्थ विकास के क्षितिजों को खोले; उनका जन्म मडागास्कर में राजनैतिक एवं सामाजिक स्थायित्व को प्रोत्साहित करे; उनका जन्म अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान में सुरक्षा एवं मानवाधिकारों के सम्मान को प्रतिष्ठापित करे; निकारागुआ एवं कॉस्तारिका में वार्ताओं को प्रोत्साहित करे; तथा कोरियाई प्रायद्वीप में पुनर्मिलन को उन्नत करे।"

उन्होंने कहाः .... "मुक्तिदाता का जन्म, चीन में मुख्यधारा की कलीसिया के विश्वासियों के विश्वास, धैर्य एवं साहस को शक्ति प्रदान करे ताकि उनके धर्म पालन एवं अन्तःकरण की स्वतंत्रता पर लगाये गये प्रतिबन्धों से वे हताश न होवें बल्कि, ख्रीस्त एवं उनकी कलीसिया के प्रति निष्ठा को कायम रखते हुए, आशा की ज्योति को जगाये रखें। "ईश्वर हमारे साथ" का प्रेम उन सब ख्रीस्तीय समुदायों को सम्बल प्रदान करे जो भेदभाव एवं अत्याचार सह रहे हैं तथा राजनैतिक एवं धार्मिक नेताओं को प्रेरणा दे ताकि वे सबके लिये पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता को उपलब्ध कराने के प्रति समर्पित रहें।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, "शब्द देह बना" वह हमारे बीच निवास करने आया; वह "इम्मानुएल" है, वह ईश्वर जो हमारे बिल्कुल निकट आया। हम सब मिलकर प्रेम के इस महान रहस्य पर चिन्तन करें; अपने हृदयों को हम उस प्रकाश से आलोकित होने दें जो बेथलेहेम की गऊशाला में प्रज्वलित होता है। आप सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ।"

इस मंगलयाचना के साथ रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना सन्देश समाप्त कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विश्व की 65 विभिन्न भाषाओं में क्रिसमस महापर्व की बधाईयाँ अर्पित कीं। उन्होंने कहाः ........... "जितने भी मुझे सुन रहे हैं, उन सबके प्रति मैं विभिन्न भाषाओं में शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ।" इतालीः ..................... रोम तथा इटली के निवासियों को क्रिसमस मुबारक।" फिर अँग्रेज़ी भाषा में: ................. "शांति के राजकुमार का जन्म विश्व को स्मरण दिलाये कि उसका सच्चा सुख कहाँ है और आप सबके हृदय आशा एवं आनन्द से भर उठें, क्योंकि हमारे लिये एक मुक्तिदाता पैदा हुआ है।" सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की शुभकामनाएँ अनेक एशियाई भाषाओं में भी उच्चरित की गई ...................

विश्व की विभिन्न भाषाओं में क्रिसमस महापर्व की बधाईयाँ अर्पित कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया.........................

"प्रभु ईश्वर ने समस्त राष्ट्रों के समक्ष अपना पावन सामर्थ्य प्रदर्शित किया है, पृथ्वी के कोने कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति विधान प्रकट हुआ है।" नबी इसायाह के इन शब्दों से आज का प्रसारण समाप्त करने की आज्ञा चाहते हैं, आप सबको वाटिकन रेडियो की ओर से ख्रीस्त जयन्ती महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। ..................













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