चेन्नई, 20 दिसंबर, 2010 (उकान) तमिलनाडू के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि ने नागापट्टनम
से ‘भारत की लूर्द’ के रूप में विख़्यात माता मरिया के तीर्थस्थल वेलांकिनी तक चलने वाली
एक नयी रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर विदा किया। वेलांकिनी तीर्थस्थल के रेक्टर फादर
ओरोकियासामी मिखाएल ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि तीर्थस्थल तक आने वाली
बहुप्रतीक्षित रेल सेवा का स्वप्न पूरा हो गया है। विदित कि वेलांकिनी चेन्नई से
310 किलोमीटर दक्षिण में थंजौर धर्मप्रांत में अवस्थित है जो भारत में ईसाइयों का सबसे
लोकप्रिय तीर्थस्थल है। फादर रेक्टर ने बताया कि माता मरिया ने 16वीं शताब्दी में
एक हिन्दु अपंग लड़के को दर्शन दिया था और उसे चंगाई भी प्राप्त हो गयी थी। तीर्थस्थल
के प्रबंधकों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष करीब 5 करोड़ लोग माता मरिया के दर्शन किया करते
हैं। तीर्थयात्रियों में 50 प्रतिशत लोग दूसरे धर्मानुयायी होते हैं। सितंबर माह
में तीर्थस्थल में एक विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता रहा है। पहले रेलसेवा के अभाव
में तीर्थयात्रियों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। विदित हो कि नागापट्टनम
से वेलांकिनी की दूरी 10 किलोमीटर दूर है। सन् 1999 ईस्वी में तत्कालीन बीजेपी सरकार
ने 480 करोड़ रुपये की लागत से बड़ी रेल लाईन बनाने की योजना की मंजूरी थी। भारतीय
रेलवे ने 120 करोड़ की लागत से वेलांकिनी स्टेशन का निर्माण कराया है। तीर्थस्थल प्रबंधन
ने सन् 2002 वेलांकिनी रेलवे स्टेशन निर्माण के लिये 10 करोड़ की राशि का योगदान दिया
था। ROME: INDIAN EMBASSY OFFICIAL JOINS ROME CHRISTMAS CELEBRATIONS रोम के
दूतावास अधिकारी ख्रीस्तमस समारोह में रोम, 20 दिसंबर, 2010 (उकान) ख्रीस्त जयन्ती
के पूर्व रोम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय दूतावास के सूचना एवं संस्कृति
विभाग के अध्यक्ष रविन्द्र नाथ कजला और उनकी धर्मपत्नी विमला कजला मुख्य अतिथि अतिथि
थे। श्री कजला ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह धर्म गुरुओं
का परम कर्त्तव्य है कि " वे लोगों को सहिष्णुता और शांति का संदेश दें।" उन्होंने
इस बात के लिये खेद ज़ाहिर किया कि विगत दिनों में भारत का वातावरण असहिष्णुता से प्रदुषित
हो गया है। इस अवसर पर प्रवचन देते हुए फादर पौल चेरुथोटुपुरम ने कोलकाता के धार्मिक
सद्भाव और सहिष्णुता की याद दिलातेहु कहा कि यह ज़रूरी है कि हम सभी देवदूत के संदे
के प्रचारक बनें और शांति का प्रचारक बनें। उन्होंने लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित
किया कि वे सद्भावना और शांति के संदेशवाहक बनें। चावरा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन एंड
इंटररेलिजियस स्टडीस रोम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 40 अन्य संस्थाओं ने हिस्सा
लिया। इस अवसर पर डॉ मैथ्यू कारावत्त ने " प्रभु की प्रार्थना " विषय को भारतीय
संदर्भ में रखते हुए प्रवचन दिया। लेबानोन की मिस मियेले ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की
शुरुआत की और कई अन्यों ने इसमें अपना योगदान दिया। विदित हो कि रोम में सीएचई का
संचालन डॉ आइजक अरिकापालिल करते हैं और सीएमआई की धर्मबहनें को इसके देखरेख की ज़िम्मेदारी
सौंपी गयी है। इसकी स्थापना सन् 1980 में की गयी ताकि अन्तरधार्मिक और सांस्कृतिक वार्ता
को बढ़ावा मिले।