बौद्धिक प्रशिक्षण, नैतिक अनुशासन और धार्मिक समर्पण की ज़रूरत – संत पापा
वाटिकन सिटी, 20 दिसंबर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि इटली
को " एक नये स्तर के बुद्धिजीवियों " की ज़रूरत है।
संत पापा ने उक्त बातें
उस समय कही जब उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर में वृहस्पतिवार 16 दिसंबर को परंपरागत
वार्षिक ख्रीस्तमस मिलन कार्यक्रम के तहत् रोम के महाविद्यालयों के करीब 5000 विद्यार्थियों
और प्रोफेसरों को संबोधित किया। विदित हो कि रोम के महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को
संबोधित करने का कार्यक्रम संत पापा जोन पौल द्वितीय के समय सन् 1979 में आरंभ किया गया
था।
अपने संबोधन में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि कलीसिया को ऐसे बुद्धिजीवियों
की आवश्यकता है जो गहन अध्ययन करें, लगातार चिन्तन करें और इसके द्वारा सभी शैक्षणिक
समुदाय को शामिल करते हुए एक ऐसी शिक्षा को बढ़ावा दें जिसमें बौद्धिक प्रशिक्षण, नैतिक
अनुशासन और धार्मिक समर्पण का समावेश हो।
संत पापा ने कहा कि बुद्धिजीवियों को
चाहिये कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों को समझ कर ऐसा समाधान प्रस्तुत करें कि
वे अमूर्त नहीं वरन् व्यावहारिक और स्पष्ट हों।
कलीसिया महाविद्यालयों से चाहती
है कि कलीसिया के लिये इस क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवा प्रदान करें।
संत पापा
ने कहा कि विश्वास, विचार और बौद्धिक समर्पण के विरुद्ध नहीं है पर यह इस बात की माँग
करता है कि इसे नये तरीके और मतलब के लिये उपयोग में लाये जैसा की दो हज़ार वर्ष पहले
पश्चिम के दर्शनशास्त्रियों, ईशशास्त्रियों, कलाकारों वैज्ञानिकों ने किया, जो सच्चे
विश्वासी थे।
संत पापा ने उपस्थित विद्यार्थियों को आमंत्रित करते हुए कहा कि
" वे बेथलेहेम की ओर अपनी नज़र उठायें और देखें जहाँ ईशपुत्र जन्म लेने वाले हैं ताकि
वे असहिष्णुता और झूठी आशाओं से लोगों को मुक्ति दिला सकें।"
उन्होंने कहा कि
" हम झूठी बातों की आशाओं में पड़े रह सकते हैं अगर हम इस बात को भूल जायें कि ईश्वर
मानव इतिहास में शामिल हैं, हमारे लिये कार्यरत हैं और चाहते हैं कि हम उनकी सुनें। "
" बेतलेहेम में वापस जाना एक सुखद यात्रा नहीं है वरन् एक ऐसी यात्रा है जो
जिसमे हम ईश्वर का करीब से अनुभव करने के लिये बुलाये गये हैं ताकि हम उस शक्ति का अनुभव
हमें जीवन देता, नया करता और हमारे जीवन को आगे बढ़ाता है। "
उन्होंने कहा "
आज हम बेतलेहेम की यात्रा करें अपने मन उस ईश्वर पर केन्द्रित रखें जो धैर्यवान और वफ़ादार
हैं, जो इन्तज़ार करते, हमारे लिये हर पल रुके रहते और हमारा सम्मान करते हैं।"
इसके
साथ ही जिस शिशु का हम दर्शन करेंगे वह ईश्वर के असीम प्रेम की पूर्ण अभिव्यक्ति हैं।
वे ऐसे ईश्वर हैं जो हमें प्यार करते, अपना जीवन देते, जो हमें प्रेम करना सिखाते
और अपने प्रेम के लिये आमंत्रित करते हैं।
समारोह के आरंभ में रोम महाविद्यालय
के रेक्टर रेनातो लौरा " टोर बेरगाता " ने संत पापा का अभिवादन किया और उपस्थित विद्यार्थियों
का स्वागत किया।
समारोह के अंत में कुछ अफ्रीका के विद्यार्थियों ने स्पेन
के विद्यार्थियों को " मेरी सेदे सपियेनतियाय " की माता मरिया की एक प्रतिमा दी और इस
बात को प्रतीकात्मक रूप से दिखाया कि वर्ष 2011 के अगस्त महीने में स्पेन के मैडरिड में
26वें विश्व युवा दिवस के अवसर में एक साथ होंगे।