2010-12-13 09:35:15

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार बारह दिसम्बर को सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त समुदाय को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आगमन के इस तीसरे रविवार के लिये निर्धारित धर्मग्रन्थ पाठ सन्त याकूब के पत्र के उस अंश की प्रस्तावना करते हैं, जो इस उदबोधन के साथ आरम्भ होता हैः "भाइयो, प्रभु के आने तक धैर्य रखें।" आज यह वाक्य मुझे पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण जान पड़ता है। हमारे पूर्वजों के समय के सदगुणों को यानि दृढ़ता एवं धैर्य के गुणों को आज के युग में रेखांकित करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे विश्व में जहाँ ये गुण कम लोकप्रिय हो गये हैं तथा जहाँ लोग परिवर्तनों, नवीनताओं एवं विविध परिस्थितियों में खुद को बदलने की क्षमता रखते हैं, इन गुणों को रेखांकित करना मैं पहले से आज कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानता हूँ। मनुष्य की इस क्षमता को छीने बिना आगमन काल हमें अपनी आतंरिक दृढ़ता को मज़बूत करने के लिये आमंत्रित करता है। उस मन की शक्ति को मज़बूत करने के लिये जो, भलाई के देरी से आने की प्रतीक्षा में भी, हमें निराश नहीं होने देती बल्कि विश्वासपूर्वक उसके आने की तैयारी हेतु प्रतीक्षा करने का बल प्रदान करती है। सन्त याकूब कहते हैं: "किसान को देखें, जो खेत की क़ीमती फ़सल की बाट जोहता है। उसे प्रथम और अन्तिम वर्षा के आने तक धैर्य रखना पड़ता है। आप लोग भी धैर्य रखें। हिम्मत न हारें, क्योंकि प्रभु का आगमन निकट है।"

उन्होंने आगे कहाः .........."किसान के साथ तुलना बहुत अर्थपूर्ण हैः जिसने खेत में बीज बोया है उसे धैर्य एवं दृढ़तापूर्वक कुछ माहों तक इन्तज़ार करना होता है, किन्तु शरद ऋतु और बसंत की बारिश के कारण वह इस बात को भलीभाँति जानता है कि बीज को अपना चक्र पूरा करना है। किसान भाग्यवादी नहीं है अपितु विश्वास एवं तर्कणा को सन्तुलित ढंग से एक करने वाली मानसिकता का आदर्श है क्योंकि एक ओर तो वह प्रकृति के नियमों को जानता है तथा अपना काम अच्छी तरह करता है तो दूसरी ओर, ईश्वर में भरोसा रखता है इसलिये कि कुछ मूलभूत चीज़ें उसके बस में नहीं होती बल्कि ईश्वर के हाथ में होती हैं। अस्तु, धैर्य एवं दृढ़ता, वास्तव में, मानवीय प्रतिबद्धता तथा ईश्वर के प्रति विश्वास के बीच विद्यमान सुसंगति एवं संश्लेक्षण है।
धर्मग्रन्थ कहता हैः "हिम्मत न हारें, प्रभु का आगमन निकट है।" यह काम किस तरह किया जा सकता है? अपने मन को हम किस तरह और अधिक शक्तिशाली बना सकते हैं जो पहले से ही नाज़ुक और कमज़ोर है तथा उस संस्कृति से जर्जर एवं अधिकाधिक अस्थिर हो चुका है जिसमें हम डूबे हैं। हमारे पास सहायता की कमी नहीं है। सच तो यह है कि जब सबकुछ बीत जाता है एवं बदल जाता है, तब भी ईश्वर का वचन न तो बीतता है और न ही बदलता है। यदि जीवन की घटनाओं से हम अपने आप को खोया हुआ महसूस करते हैं तथा हमें लगता है कि हर निश्चितता धराशायी हो रही है तो समझ लेना चाहिये कि हमने उन्मुखीकरण का दिक्सूचक पा लिया है, हमें किनारे तक पार जाने का लंगर मिल चुका है। ऐसी अवस्था में हमारे समक्ष नबियों के आदर्श प्रस्तुत किये जाते हैं, अर्थात् उन लोगों का आदर्श जिन्हें ईश्वर ने उनकी ओर से तथा उनके नाम पर भविष्यवाणियाँ करने के लिये बुलाया है। नबी या भविष्यवक्ता प्रभु के वचन में ही आनन्द और उसी से शक्ति पाता है और जबकि मनुष्य उन रास्तों में अपना आनन्द ढूढ़ते हैं जो प्रायः ग़लत साबित होते हैं नबी सच्ची आशा की घोषणा करता है, ऐसी आशा जो कभी निराश नहीं करती क्योंकि उसका आधार ईश्वर पर विश्वास होता है। बपतिस्मा संस्कार के कारण, प्रत्येक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी ने, नबूवती प्रतिष्ठा प्राप्त की हैः मेरी मंगलकामना है कि ईश्वरीय वचन के श्रवण से वह उसकी खोज कर सके तथा उसे पोषित कर सके। पवित्र कुँवारी मरियम इसे पाने में हमारी मदद करें जिन्हें प्रभु के वचन को पूरा करने के कारण सुसमाचारों में धन्य कहा गया है।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा ने अँग्रेज़ी भाषा भाषियों को सम्बोधित कर कहाः ............. "देवदूत प्रार्थना में उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषा भाषियों का मैं अभिवादन करता हूँ। प्रभु के आने की आनन्दमय प्रतीक्षा से चिह्नित आगमन के तीसरे रविवार की धर्मविधि हमें आमंत्रित करती है ताकि हम हमारे बीच विद्यमान ख्रीस्त की उद्धारकारी शक्ति के संकेतों को पहचानें। क्रिसमस महापर्व की तैयारी के ये दिन सब लोगों के लिये ईश वचन के ध्यानपूर्वक श्रवण, मनपरिवर्तन तथा आन्तरिक नवीकरण का समय सिद्ध हो। आप पर तथा आपके परिवारों पर मैं हमारे उद्धारकर्त्ता प्रभु येसु के आनन्द एवं उनकी शान्ति का आह्वान करता हूँ।"











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