2010-12-10 12:36:48

बैजिंगः ल्यू ज़ियाबो को नोबेल पुरस्कार की पृष्टभूमि में चीन ने की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी


चीन में क़ैद लोकतंत्रवादी कार्यकर्ता लियू ज़ियाबो को नोबेल पुरस्कार प्रदान किये जाने की पृष्टभूमि में चीन की सरकार ने शुक्रवार को पुरस्कार समारोह के दिन सुरक्षा व्यवस्था को अत्यधिक कठोर कर दिया तथा प्रजातंत्रवाद की समर्थक अनेक समाचार वेबसाईटों को अवरुद्ध कर दिया।

अक्तूबर माह में पुरस्कार की घोषणा के बाद से अपने घर में नज़रबन्द लियू की पत्नी पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है तथा उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

लियू के निवास के बाहर वर्दीधारी और सादे कपड़े पहने पुलिस अधिकारियों का ताँता लगा है तथा किसी को भी अन्दर जाने से रोका जा रहा है। लियू के परिजनों, उनके मित्रों तथा समर्थकों पर भी पुरस्कार के सिलसिले में विदेश जाने से रोक लगा दी गई है तथा अनेक लोगों को नज़रबन्द कर दिया गया है।

नार्वे की राजधानी में नोबेल पुरस्कार का आयोजन है जहाँ लियू ज़ियाबाओ मौजूद नहीं होंगे जबकि
एक खाली कुर्सी उनका प्रतिनिधित्व करेगी। चीन ने समारोह में भाग ले रहे देशों की कड़ी आलोचना की है और इसे चीन पर पश्चिमी मूल्यों का थोपा जाना निरूपित किया है।

इस बीच, नॉर्वे में नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति ने कहा है कि शांति पुरस्कार चीन की जेल में कैद लू ज़ियाबाओ को देने का मतलब चीन पर पश्चिमी मूल्यों को थोपना नहीं है। समिति के अध्यक्ष तोब्योर्न याग्लेन ने साफ किया कि ये पुरस्कार चीन के ख़िलाफ़ नहीं है लेकिन एक संकेत है कि चीन आर्थिक प्रगति के साथ-साथ राजनीतिक सुधारों को भी प्राथमिकता दे।

'खाली कुर्सी का अर्थ' समझाते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सम्भव नहीं। ये मात्र कुछ पश्चिमी देशों के मूल्यों भर की बात नहीं है, ये सार्वभौमिक मूल्य हैं। उन्होंने कहा कि खाली कुर्सी समारोह में सम्मान विजेता की अनुपस्थिति को दर्शाती है, यह इस बात का एक शक्तिशाली प्रतीक है कि नोबेल समिति का चुनाव कितना सही था।

नोबेल समिति ने यह आरोप भी लगाया है कि चीन का ऑस्लो स्थित चीनी दूतावास अन्य देशों को सम्मान समारोह में जाने से रोकने के भरसक प्रयास कर रहा है।








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