वाटिकन सिटी, 3 दिसंबर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि समाज
की एक विशिष्ट ईकाई विवाह के बगैर यूरोप बहुत कुछ खो सकता है। संत पापा ने उक्त बातें
उस समय कहीं जब उन्होंने हंगरी के नये राजदूत गबोर जियोरिभानी से मुलाकात की। संत
पापा ने कहा कि "विवाह और परिवार किसी भी देश या समुदाय के उचित विकास की नींव है। विवाह
के द्वारा नर और नारी का आपसी संबंध व्यवस्थित होता है और समुदाय की एक महत्त्वपूर्ण
ईकाई के रूप में धार्मिक विश्वास के द्वारा परिपोषित होता है।" संत पापा ने चेतावनी
दी कि " यूरोप यूरोप नहीं रह जायेगा अगर सामाजिक संरचना की इस विशेष ईकाई का अंत हो जाये
या इसको बदल दिया जाये। उन्होंने बताया कि आज प्रत्येक मानव को मालूम है कि विवाह
और परिवारिक जीवन ख़तरे की कग़ार पर है। एक ओर परिवारिक जीवन को तलाक़ और इसके कमजोर
नियमों से अस्थायित्व और टूटने का खतरा है तो दूसरी ओर नर और नारी का बग़ैर कानूनी मान्यता
और सुरक्षा में एक साथ जीने से विवाह की सुरक्षा खतरे में है। ऐसा इसलिये भी है
कि कई लोगों ने एक-दूसरे के साथ एक साथ जीना शुरु कर दिया जिसका यूरोप में कोई ऐतिहासिक
या कानूनी आधार है। संत पापा ने कहा कि चर्च विवाहितों के लिये कोई कानूनी वैकल्पिक
रूप की व्यवस्था नहीं कर सकती है। अगर ऐसा करने का प्रयास करे तो इससे प्राकृतिक नियम
कमजोर हो जायेगा और सभी कानूनों का सापेक्षवादीकरण हो जायेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक
अधिकारी संविधान में उचित बदलाव लायें जो ईसाई परंपरा की विरासत के आधार पर ही हो।
संत पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि नया संविधान ईसाई मूल्यों के आधार पर हो विशेषकर
विवाह, परिवार और जीवन रक्षा जैसे मुद्दों के संबंध में। संत पापा ने हंगरी के राजदूत
को याद दिलाया कि यूरोपीय यूनियन का सदस्य होने के कारण हंगरी का विश्व में एक विशेष
स्थान है। उन्होंने याद दिलाया कि अगले वर्ष हंगरी को यूरोपीय यूनियन के कौंसिल के
नेतृत्व का दायित्व सौंपा जायेगा जो एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। संत पापा ने कहा कि
हंगरी के पिछले 45 वर्ष तक मानव के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण रखने के कारण हंगरीवासी
बहुत आहत थे। पर अब समय आ गया जब हंगरी शांति, स्वतंत्रता और मानव के प्रति सम्मान की
दिशा में बहुमूल्य योगदान दे पायेगा।