सेक्सुअल हैरासमेंट बिल’ में सरकार घरेलु कामगार महिलाओं को शामिल करे
नई दिल्ली, 29 नवम्बर, 2010 (उकान) दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेट एम कोनचेसाओ ने
सरकार से अपील की है कि वे प्रस्तावित ‘सेक्सुअल हैरासमेंट बिल’ अर्थात् ‘यौन उत्पीड़न
विधेयक’ में घरेलु कामगार महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को भी शामिल करे। उन्होंने
बताया कि जब विधेयक बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही थी उस समय घरेलु कामगार महिलाओं को
शामिल किया गया था लेकिन विधेयक का जो अंतिम रूप सामने आया उसमें उसमें उनके अधिकारों
को कोई स्थान नहीं दिया गया है। महाधर्माध्यक्ष ने सरकार से कहा कि है वे घरेलु कामगार
महिलाओं के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त
करते हुए कहा कि देश में भारी संख्या में महिलायें इस सेक्टर में कार्यरत हैं पर कैसे
देश उनकी सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर सकता है और क्यों उन्हें आज तक कोई कानूनी सुविधायें
नहीं दी गयीं हैं। विदित हो कि भारत में घरेलु कामकार महिलायें देश की सबसे बड़ा कार्यबल
मानचे हुए तीन वर्ष पहले प्रस्तावित " यौन उत्पीड़न विधेयक " में शामिल किया गया था।
इस विधयक के अनुसार सभी श्रम के स्थानों पर यह प्रावधान होगा कि चाहे व्यक्ति संगठित
हो असंगठित यौन-उत्पीड़न के मामले की शिकायत कर सकता है। महाधर्माध्यक्ष कोनचेसाओ
ने सरकार से यह भी माँग की है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन द्वारा सन् 2011 में
अंतरराष्ट्रीय महा सम्मेलन में लाये जाने वाले उस मुद्दे का समर्थन करे जिसमें " घरेलु
कामगारों के लिये सभ्य या सम्मानीय कार्य " की बात उठायी जायेगी। जेवियर सोशल इन्स्टिट्यूट
दिल्ली के जेस्विट फादर जेवियर जयराज ने कहा है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में आदिवासी
युवतियों घरेलु कार्यों से जुड़ी हुई हैं और उन्हें कई बार यौन उत्पीड़न का शिकार होना
पड़ता है। सरकार को चाहिये कि घरेलु कामकार महिलाओं के लिये अलग से ही विधेयक लाये तब
ही उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सकती है। एक समाजसेविका रंजना कुमारी ने
महाधर्माध्यक्ष की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को यह प्रयास करना चाहिये वह
विधेयक की सीमा में ही घरेलु कामगार महिलाओं के लिये कुछ प्रावधान रखे ताकि उनकी सुरक्षा
हो सके। जोइंट वीमेन प्रोग्राम ऑफ द प्रोटेस्टंट चर्च की ज्योत्सना चैटर्जी ने का
बल देकर कहा कि प्रस्तावित विधेयक में घरेलु कामगार महिलाओं को जोड़ने से वे अपने अधिकारों
उपयोग कर पायेंगे।