2010-11-26 16:35:24

यूनियन ओफ सुपीरियर जेनेरलस के लिए संत पापा का संदेश


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने शुक्रवार को विभिन्न धर्मसमाजों के प्रमुखों के संघ यूनियन ओफ सुपीरियर जेनेरलस एंड इंटरनेशनल यूनियन ओफ सुपीरियर जेनरल्स की सामान्य आमसभा के 200 प्रतिभागियों को वाटिकन के क्लेंमेंतीन सभागार में सम्बोधित किया। उन्होंने पिछली दो सभाओं पर भी अपने चिंतन व्यक्त किये जो यूरोप में धर्मसमाजी जीवन के भविष्य पर केन्द्रित रहे थे। संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजी जीवन पर विचार करने का अर्थ बुलाहट के ही अर्थ पर पुर्नविचार करना और ईश्वर को खोजना है। उन बंधुओं या बहनों में ईश्वर को खोजना जिन्हें उन्होंने दिया है जिनके साथ आप जीवन जीते और मिशन की शेयरिंग करते हैं। उन लोगों में ईश्वर को खोंजें जिनके बीच आप सुसमाचार का उपहार अर्पित करने भेजे गये हैं, विशेष रूप से निर्धनों में ईश्वर को खोजें जो सुसमाचार पानेवाले प्रथम लोग थे।


संत पापा ने धर्माधिकारियों को प्रोत्साहन दिया कि वे हमेशा ईश्वर को गहन रूप से खोजते रहें, उनका साक्ष्य दें और जीवित सुसमाचार बनें। संत पापा ने धर्मसमाजी जीवन के मौलिक पहलू बंधुत्व भावना ( फ्राटरनिटी) पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने सुपीरियर जेनरलों से कहा कि वे मनन चिंतन के मास्टर बनें ताकि समुदायों को यह पहचानने में मदद कर सकें कि क्या ईश्वर की ओर से है और क्या नहीं। उन्होंने कहा कि डिसनर्मेंट के बिना समर्पित जीवन खतरे में पड़ जायेगा और व्यक्तिवाद, उपभोक्तावाद तथा भौतिकवाद हावी हो सकता है जो इस दुनिया की कसौटी है और बंधुत्व की भावना को विफल कर देगा। अंततः संत पापा ने मिशन के महत्व पर बल देते हुए कहा कि ईश्वर का गहन अनुभव, अच्छे प्रशिक्षण तथा सामुदायिक जीवन से समर्थन पानेवाला मिशन समर्पित जीवन को समझने और नवजागरण की कुँजी है।.







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