नई दिल्ली, 24 नवम्बर, 2010 (उकान) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय समिति के प्रवक्ता बाबू
जोसेफ ने कहा है कि ‘शक्तिशाली कास्ट कौंसिल’ के कन्या भ्रूण हत्या के विरोध करने के
निर्णय से देश में कन्याओं की घटती संख्या पर विराम लगेगा। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश
की कास्ट कौंसिल - खाप पंचायत ने माँग की है कि भ्रुण ह्त्या रोकने के लिये सरकार सख़्त
कानून बनाये। खाप, जाति के नाम पर गाँवों का एक संगठन है। सीबीसीआई ने कास्ट कौंसिल
खाप के फैसले का स्वागत किया है उन्होंने बताया कि भारतीय समाज चार मुख्य जातियों और
उनसे जुड़ी अनेक उपजातियाँ है। सभी उपजातियाँ अपने समुदाय में होने वाले सामुदायिक
मुद्दों तथा शादियों सहित कई मामलों का समाधान करती हैं हालाँकि कानूनी रूप से इन्हें
मान्यता नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि कथित रूप से खाप कई बार महिलाओं के अधिकारों
का हनन करती रही है और उन्होंने जाति के इच्छा के खिलाप जाने वाली युवतियों का ‘ऑनर किलिंग’
या ‘मर्यादा के लिये हत्या’ जैसे कृत्यों का समर्थन किया है। लेकिन एक समाचार के
अनुसार पिछले सप्ताह मुजफ्फरनगर जिले में खाप ने पर इस बात के लिये रोष जताया कि सरकार
ने उस कानून को लागू करने में अक्षम रही है जिसके तहत शिशुओं के लिंग चयन रोका जाना है।
उन्होंने कन्याओं के अधिकारों की रक्षा किये जाने की वकालत भी की है। नई दिल्ली
के झुग्गी-झोड़ियों में गुजर-बसर करने वाले के बीच कार्यरत नाजरेथ सिस्टर अन्न मोयालन
ने कहा कि खाप का निर्णय कन्याओं के प्रति सकारात्मक रवैये को दिखलाता है। उधर प्रोटेस्टंट
कलीसिया की ज्योत्सना चटर्जी ने खाप से अपील की है कि वे ‘प्रतिष्टा हत्या’ या ‘ऑनर किलिंग’
को समाप्त करें। उनका कहना है कि अगर खाप समाज का सही कल्याण चाहता तो दो नावों पर
पैर नहीं रख सकता। एक ओर वे ‘ऑनर किलिंग’ का समर्थन करता तो दूसरी ओर कन्या भ्रुण हत्या
का विरोध करता है। विदित हो कि उत्तरप्रदेश में प्रत्येक 1000 पुरुषों के लिये 898
महिलायें है पर कई जिलों में लिंग अनुपात 1000 पुरुषों के लिये 841 महिलायें का है।