2010-11-18 16:12:46

ख्रीस्तीयों के मध्य एकता का प्रसार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति की पूर्णकालिक सभा के प्रतिभागियों के लिए संत पापा का संदेश


ख्रीस्तीयों के मध्य एकता का प्रसार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति की पूर्णकालिक सभा कलीसियाई एकतावर्द्धकता संवाद के नये युग की ओर शीर्षक से सम्पन्न हो रही है । संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों को 18 नवम्बर को सम्बोधित किया। उन्होंने समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष कुर्त कोच को धन्यवाद दिया तथा कहा कि कल इस समिति की स्थापना की 50 वीं वर्षगांठ के उपल्क्ष्य में धर्माध्यक्ष कुर्त ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया। इस समिति की स्थापना 5 जून 1960 को वाटिकन द्वितीय महासभा की पूर्व संध्या में किया गया था जिसने कलीसियाईओँ के मध्य एकतावर्द्धकता को केन्द्रीय महत्व दिया था।

संत पापा ने कहा कि धन्य जोन तेईसवें ने ईसाईयों के मध्य एकता के प्रसार के लिए इस विभाग की स्थापना की थी जिसे 1988 में परमधर्मपीठीय समिति का नाम दिया गया। यह कृत्य कलीसिया की एकतावर्द्धक यात्रा में मील का पत्थर है। उन्होंने समिति के भूतपूर्व अध्यक्षों का स्मरण करते हुए कार्डिनल अगुस्टीन बेया, जोहान्नेस विलब्रान्डस, एडवर्ड इदरिस कासिदी और कार्डिनल वाल्टर कास्पर के 11 वर्षों के योगदान का विशेष उल्लेख किया जिन्होंने पूरी दक्षता और उत्साह से समिति का संचालन किया है। संत पापा ने समिति के परामर्शदाताओं, अधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं को भी धन्यवाद दिया जिनके कारण ईशशास्त्रीय संवाद तथा कलीसियाई एकतावर्द्धक बैठकें सम्पन्न हो सकीं तथा असंख्य् लोगों की प्रार्थनाओं के लिए आभार माना ताकि ईश्वर ईसाईयों के मध्य दृश्यमान एकता का वरदान दें। उन्होंने कहा कि 50 वर्षों में कलीसियाई समुदायें अतीत के पूर्वागर्हों से परे जाकर ईशशास्त्रीय संवाद में शामिल हुए है तथा उदारतापूर्वक सहयोग के अन्य उद्यम किये गये हैं जिनमें मानव जीवन की रक्षा, सृष्टि की रक्षा और प्रसार, अन्याय के विरूद्ध संघर्ष ये सब कलीसियाई एकतावर्द्धक काम के महत्वपूर्ण और फलप्रद क्षेत्र रहे हैं।

संत पापा ने स्मरण किया कि हाल के वर्षों में हारवेस्ट प्रोजेक्ट पर परमधर्मपीठीय समिति काम कर रही है और वाटिकन द्वितीय महासभा के समय से कलीसियाई समुदाय में ईशशास्त्रीय संवाद के क्षेत्र में मिली उपलब्धियों का पुनरावलोकन कर रही है। अब तक मिले परिणामों के लिए ईश्वर को ध्न्यवाद दें तथा एकता के पथ में ईशशास्त्रीय शोध के काम को जारी रखें। संत पापा ने कहा कि पाश्चात्य जगत में कुछ लोग सोचते हैं कि इस काम का आरम्भिक संवेग खो गया है लेकिन जरूरी है कि एकतावर्द्धकता में ऱूचि को पुनः जगाया जाये, संवाद को प्रोत्साहन दिया जाये और पवित्र आत्मा की सहायता माँगते हुए, प्रार्थना करते हुए कलीसियाई एकतावर्द्धकता के सामने आनेवाली नवीन चुनौतियों का सामना किया जाये।







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