तेहरान, ईरान, 17 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) तेहरान में आयोजित काथलिक-इस्लाम वार्ता में
इस बात पर सहमति जतायी गयी कि धार्मिक स्वतंत्रता मानव का जन्मजात अधिकार है।
तेहरान
में सातवें मुस्लिम-काथलिक वार्तालाप का आयोजन ‘इस्लामिक क्ल्चर एंड रिलेशन’ और अंतरधार्मिक
वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति ने संयुक्त रूप से किया था।
मुस्लिम-काथलिक
वार्ता के लिये आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन की विषयवस्तु थी " रेलिजन एंड सोसाएटी टुडेः
क्रिश्चियन एंड मुसलिम पर्सपेक्टिव " अर्थात् धर्म और आज का समाजः ईसाई और मुस्लिम
परिप्रेक्ष।
दोनों समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपने पक्षों को सम्मेलन के सौहार्दपूर्ण
माहौल में प्रस्तुत किया। इनमें जो मुद्दे शामिल किये गये, वे थे- धर्म और समाजः ईशशास्त्रीय
और दर्शनशास्त्रीय पक्ष, ऐतिहासिक और कानूनी पक्ष और आधुनिक चुनौतियाँ और अवसर।
सभा
के अन्त में दोनों पक्षों ने कहा कि विश्वास के लिये स्वतंत्रता परमावश्यक है। उन्होंने
कहा कि " समाज, राज्य और प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये कि वह धार्मिक स्वतंत्रता और मानव
मर्यादा का सम्मान करे। "
उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि मानव मर्यादा के प्रतिकूल नहीं है और इस मूलभूत सिद्धांत का सम्मान किया जाना
चाहिये।
दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों का मानना है कि धार्मिक समुदायों को अपने-अपने
विश्वास के अनुसार ही समाज के कल्याण के लिये कुछ विशेष योगदान देना चाहिये।
सम्मेलन
में भाग लेने वालों ने कहा कि प्रत्येक धर्म का एक सामाजिक पक्ष भी है जिसे राज्य को
भी चाहिये कि वह इसका सम्मान करे। धर्म को व्यक्तिगत दायरे में नहीं रखा जा सकता है।
इसके साथ प्रतिनिधियों ने इस बात पर भी सहमति जतायी कि ईसाइयों मुस्लिमों और
नेक दिलवालों को इस बात के लिये प्रयास करना चाहिये कि वे एक साथ मिल कर आज की समस्याओं
को जवाब खोजें और शांति और न्याय, परिवारिक मूल्यों की रक्षा, प्राकृतिक संसाधन और पर्यारण
की रक्षा के लिये कार्य करें।
सभा के अन्त में दोनों पक्षों ने वार्ता की सफलता
पर संतुष्टि व्यक्त की और उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वे भविष्य में भी ईमानदारीपूर्ण
वार्ता जारी रखेंगे ताकि इसका उचित फल प्राप्त हो सके।
विदित हो कि 6वीं मुस्लिम
ईसाई वार्ता रोम में सन् 2008 में सम्पन्न हुई थी।