कुछ सेमिनरियों द्वारा ‘अपरिपक्व पुरोहितों’ का उत्पादन
पूणे, 17 नवम्बर, 2010(उकान) एसोशियेशन ऑफ रेक्टर्स ऑफ मेजर सेमिनरीस (एआरएमएस) के
सचिव फादर जोन कुलनदाई ने कहा है कि देश के कुछ सेमिनरी ‘अपरिपक्व पुरोहितों’ का उत्पादन
कर रहें हैं। उन्होंने उक्त बातें उस समय कहीं जब राजस्थान के अजमेर 7 से 13 नवम्बर
तक आयोजित में देश के विभिन्न सेमिनरियों के 53 रेक्टरों की सभा को संबोधित किया। फादर
जोन कुलानदाई ने कहा कि सेमिनरी के कई प्रोफेसर प्रशिक्षुओं को शैक्षणिक रूप से सक्ष्म
बनाते हैं पर पुरोहित जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान करने की शिक्षा देने में सक्ष्म
नहीं होते हैं। उन्होंने इस बात के लिये चिंता जतायी कि कई आज के सेमिनरियों के
प्रशिक्षु उपभोक्तावादी जीवन शैली के शिकार होते जा रहे हैं विशेष करके मोबाइल के उपयोग
के क्षेत्र में। फादर कुलनदाई ने बताया कि इस चुनौती पर विजय प्राप्त करने का सिर्फ़
एक ही उपाय है - प्रशिक्षुओं को यह सिखाना कि वे अपनी स्वतंत्रता का उत्तरदायित्वपूर्वक
प्रयोग करें। सभा में उपस्थित रेक्टरों ने इस बात की ओर भी बल दिया कि पुरोहितों
का प्रशिक्षण पर्यावरण पर आधारित ईशशास्त्र और आध्यात्मिकता के अनुसार हो। ए. आर.
एम. एस. के अध्यक्ष फादर प्रसाद पिन्टो ने कहा कि आज के प्रशिक्षण में पारस्परिक निर्भरता
और पारस्परिक सामंजस्य पर बल दिया जाना चाहिये। जेस्विट फादर और पर्यावरण के कार्यरत
फादर रोबर्ट अथिकल ने कहा कि कलीसिया में पुरोहितों के प्रशिक्षण बेहतर होगा यदि प्रशिक्षक
पर्यावरण से जुड़ जायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व में सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत
छोटे समुदायों से ही होती है।
ज्ञात हो कि इस सभा का आयोजन लैटिन विधि के धर्माध्यक्षों
के बुलाहट के लिये बनी आयोग ने की थी।