रचनात्मक बुद्धि से डिजिटल युग की चुनौतियों पर विजय प्राप्त करें
वाटिकन सिटी, 15 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि यदि चर्च
चाहती है कि वह विश्व में सुसमाचार का प्रचार करे तो उसे अपनी सर्जनात्मक बुद्धि का उपयोग
करना होगा तब ही वह इस डिजिटल युग की चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर सकती है।
संत
पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति
के सदस्यों के साथ मुलाक़ात की। संस्कृति के लिये बनी समिति ने हाल ही में संचार और नयी
भाषा की संस्कृति पर विचार करने के लिये एक सभा का आयोजन किया था।
संत पापा ने
कहा कि विश्व में नयी भाषा और नये संचार के संबंध में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं।
और इसी के कारण आम विश्वासियों को विश्वास की बातों को समझने में कठिनाइयाँ हो रही हैं।
कई लोग चर्च से या तो दूर जा रह हैं या चर्च क प्रति उदासीन होते दिखाई देते।
संत पापा ने कहा कि कलीसिया के लोग भले ही तटस्थ हो जाये पर चर्च अपना कार्य जारी रखेगी।
उन्होंने कहा कि कलीसिया ने यह मिशन स्वीकार किया है कि पूरी दुनिया में सुसमाचार का
प्रचार करेगी इसलिये यह कभी भी चुप नहीं रह सकती है।
कलीसिया आज भी सक्रिय है
और वह चाहती है कि नये तरीके का उपयोग करते हुए और पूरी सतर्कता और दूरदर्शिता से संचार
माध्यम के नयी भाषा का उपयोग कर अपना मिशन जारी रखेगी।
संत पापा ने इस बात को
स्वीकार किया कि कई बार विश्वास जैसी गंभीर बातों को नये माध्यमों से युवाओं को समझाना
कठिन हो सकता है युवा विश्वास के प्रति उदासीन भी हो सकते हैं।
संत पापा ने
कहा कि कलीसिया चाहती है कि वह उन सब लोगों से अपना संपर्क बनाये रखे जो सत्य की खोज
में लगे हुए है। वार्ता के लिये यह भी आवश्यक है कि मित्रतापूर्ण माहौल का निर्माण हो।
ऐसा होने से ही वार्ता सफल और प्रभावकारी हो पायेगी।
संत पापा ने कहा कि आज की
मीडिया युवाओं को आपसी नेटवर्क की असीमित सुविधायें प्रदान करतीं हैं पर इससे मानवता
प्रौढ़ नहीं हो पायी है पर इससे व्यक्ति में अकेलापन का खतरा बढ़ गया है।
ऐसी
परिस्थिति में, आज कलीसिया की ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी रचनात्मक शक्ति का उपयोग करे
और उन बातों का प्रचार करे जो मानव मूल्यों को बढ़ावा देते है जो व्यक्ति में मूल्यांकन
करने और सोच-विचार कर निर्णय करने की क्षमता को बढ़ाते हैं। संत पापा ने लोगों से
कहा कि वे बाईबल को अपना मार्गदर्शका मानें और डिजीटल युग में प्रवेश करें।
संत
पापा ने आशा व्यक्त कि है कि पूजनविधि में ऐसे प्रतीकों का प्रयोग हो जिससे यह लोगों
के मन, दिल और ह्रदय को प्रभावित करे।
उन्होंने यह भी कहा कि ख्रीस्तीय परंपरा
रही है कि यह सदा ही पूजनविधि से जुड़ी हुई है और पूजन विधि कला से और इन दोनों के प्रभावपूर्ण
प्रयोग से कलीसिया का संदेश प्रभावपूर्ण हो पायेगा।