देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 14 नवम्बर को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के
प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
आज की पूजनधर्मविधि के दूसरे पाठ में प्रेरित संत पौल व्यक्ति
के जीवन में काम के महत्व पर जोर देते हैं। इस पहलू का स्मरण धन्यवाद दिवस में भी किया
जाता है जो पारम्परिक रूप से इटली में फसल काटने और जमा करने की ऋतु के अंत में ईश्वर
को धन्यवाद देने के दिवस रूप में नवम्बर माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। यद्यपि
दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में फसल जमा करने का समय प्राकृतिक रूप से भिन्न है आज मैं प्रेरित
संत पौलुस के कुछ शब्दों का हमारे चिंतन के लिए अनुसरण करना चाहता हूँ, विशेष रूप से
कृषि कार्यों के संबंध में।
वर्तमान आर्थिक संकट जिसके समाधान के बारे में हाल
में सम्पन्न तथाकथित जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान विचार विमर्श किया गया इस संकट को इसके
पूरे अर्थ में गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इसके अनेक कारण हैं तथा यह वैश्विक आर्थिक
विकास के नमूने का गहन रूप से नवीनीकरण करने की जरूरत का शक्तिशाली संदेश देता है। यह
एक ऐसा लक्षण है जो पहले से ज्ञात अन्य गंभीर मामलों में जुड़ जाता है। उदाहरणार्थ- सम्पन्नता
और निर्धनता के बीच सतत असंतुलन, भूख की अपकीर्ति, पारिस्थितिकी की आकस्मिक स्थिति, बेरोजगारी
की समस्या जो अब सामान्य समस्या बन गयी है। इस संदर्भ में रणनीतिक तौर पर कृषि पर पुनः
जोर देना निर्णायक प्रतीत होता है।
वस्तुतः कृषि क्षेत्र पर बहुधा औद्योगीकरण
की प्रक्रिया हावी रही है, जो आधुनिक तकनीकियों से लाभ उठा रही है तथापि इसने अपने महत्व
को खोया नहीं है, यहाँ तक कि सांस्कृतिक स्तर पर भी इसके उल्लेखनीय परिणाम रहे हैं। मेरा
मानना है यह समय है कि गृह विरही भावना में नहीं लेकिन भविष्य के लिए अपरिहार्य संसाधन
के रूप में कृषि का पुनः मूल्य निर्धारण किया जाये।
वर्तमान आर्थिक परिस्थिति
में और अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था का प्रलोभन है कि लाभकारी गठबंधनों का पालन किया जाये
लेकिन निर्धन देशों पर इसका घातक असर हो सकता है। महिलाओं और पुरूषों के लिए चरम गरीबी
की अवस्था का दीर्घीकरण तथा पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग जिसे सृष्टिकर्ता
ईश्वर ने मानव को सौंपा है जैसा कि उत्पत्ति ग्रंथ कहता है कि वह वाटिका की खेती बारी
और रक्षा करे। इससे कहीं अधिक आर्थिक संकट के बावजूद वे देश जहाँ बहुत समय से औद्योगीकरण
हुआ है, अधारणीय उपभोग की जीवनशैली रही है और इसका हानिकारक प्रभाव पर्यावरण और निर्धनों
पर हुआ था तथा यह अब भी जारी है। इसलिए यह जरूरी है कि सही मायने में कृषि, उद्योग और
सेवा क्षेत्र के मध्य नया संतुलन बनाने के लिए वास्तव में एकताबद्ध मार्ग अपनाया जाये
ताकि विकास धारणीय हो और कोई भी व्यक्ति रोटी और रोजगार विहीन नहीं हो एवं वायु, जल तथा
अन्य प्राथमिक संसाधन सार्वभौमिक हित के लिए संरक्षित रखे जा सकें।
इस लक्ष्य
की प्राप्ति के लिए यह अत्यावश्यक है कि स्पष्ट नैतिकता का विकास और प्रसार किया जाये
जो वर्तमान चुनौतियों का प्रत्युत्तर देने के काम को सम्पन्न कर सके। प्रत्येक व्यक्ति
स्वयं को शिक्षित करे कि वह विवेक और जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से उपभोग करे, ग्राम्य गतिविधियों
के सामाजिक पहलू सहित निजी उत्तरदायित्व का प्रसार करे जो आतिथ्य सत्कार, सहादयता, परिश्रम
के फल को बाँटना जैसे चिरस्थायी मूल्यों पर आधारित हों। कुछेक युवाओं ने इस पथ का वरण
किया है तथा अनेक प्रोफेशनल कृषि उद्यम में अपने आप को समर्पित करने के लिए लौट रहे हैं
यह महसूस करते हुए कि वे न केवल निजी और पारिवारिक जरूरत का प्रत्युत्तर दे रहे हैं लेकिन
यह समय की माँग तथा जनहित के लिए ठोस संवेदनशीलता है।
जैसा कि हम पृथ्वी और मनुष्य
के परिश्रम के फल के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कुँवारी माता मरियम से प्रार्थना
करें कि ये चिंतन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए संवेग के रूप में काम करे।
इतना
कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया तथा विश्वासियों को अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरांत संत पापा ने कहा कि प्रिय मित्रो
इस क्षण मैं हैती की जनता के लिए अपनी समीपता का नवीनीकरण करना चाहता हूँ जो पिछले जनवरी
माह में आये भयंकर भूकम्प के कारण अब हैजे के संक्रमण से पीडित हैं। मैं हर व्यक्ति को
जो इस आकस्मिक स्थिति का प्रत्युत्तर दे रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन देता हूँ और उन्हें
अपनी विशेष प्रार्थना में याद करने का आश्वासन देता हूँ। मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से
लोगों की उदारतापूर्वक सहायता करने का आह्वान करता हूँ।
शनिवार 27 नवम्बर को
मैं संत पेत्रुस बासिलिका में आगमन काल की प्रथम संध्या वंदना प्रार्थना की तथा जीवन
की आरम्भिक अवस्था में रहनेवालों के लिए प्रार्थना जागरण की अध्यक्षता करूँगा। सम्पूर्ण
विश्व में स्थानीय कलीसियाओं की यह संयुक्त पहल है तथा मेरी सिफारिश है कि इसे पल्लियों,
धार्मिक समुदायों, संगठनों और अभियानों में मनाया जाये। पवित्र क्रिसमस की तैयारी का
समय अनुकूल समय है कि अस्तित्व में आने के लिए बुलाये गये हर व्यक्ति के लिए दिव्य संरक्षण
की कामना करें और अभिभावकों के माध्यम से मिले जीवन रूपी उपहार के लिए ईश्वर को धन्यवाद
दें।