2010-11-15 13:23:01

1200 आदिवासी परिवार पेड़ों के नीचे सोने को मजबूर


असम, 15 नवम्बर, 2010 (उकान) असम के वनविभाग के कर्मचारियों ने अपने ‘जंगल खाली कराओ अभियान’ के तहत् करीब 1,200 आदिवासी परिवारों को ‘अवैध’ करार करते हुए जंगल से बाहर निकाल दिया है।
उकान समाचार के अनुसार वन विभाग ने 30 और 31 अक्तूबर को असम के लुंगसुग क्षेत्र के आदिवासियों को जबरन उनके घर से निकाल दिया और कथित रूप से दो गिरजाघरों 8 प्राइमरी स्कूलों और 400 घरों को जला दिया।
बोंगईगाँव धर्मप्रांत के संत जेवियर चर्च दोतमा के पल्ली पुरोहित फादर बेन्जामिन ने बताया कि उन 1,187 परिवार जिन्हें जंगल छोड़ने पर मजबूर किया गया 30 काथलिक 15 लूथरन परिवार के सदस्य है।
मिशनरीस ऑफ चैरिटी की सिस्टर सिलविया ने बताया कि आदिवासियों के घर जला दिये जाने के बाद अब दवाई के वितरण के लिये भी कोई घर या झोपड़ी नहीं बची है जिसका उपयोग बीमार लोगों की चिकित्सा के लिये किया जा सके।
उन्होंने बताया की कई लोगों को सर्दी - बुखार और जुकाम से पीड़ित हैं। एक स्थानीय स्वयंसेवी संस्था के सदस्य स्तेफन एक्का ने 4 से 7 नवम्बर तक प्रभावित क्षेत्र के दौरे के बाद बताया कि वनविभाग के लोग विस्थापित लोगों को सताते और उनसे " अमानवीय " व्यवहार भी करते देखे गये।
विदित हो कि असम के बोंगइगाँव क्षेत्र में 45 वर्षो से आदिवासी अपने घर बनाकर रहना आरंभ किये थे और अभी आदिवासियों का 57 गाँव बस चुका था ।
सन् 1974 ईस्वी में सरकार ने उन्हें जगह खाली करने को कहा था और नये स्थान में बसाने की घोषणा की थी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। और बाद में आदिवासी फिर से जंगल में लौट आये थे।
श्री एक्का ने कहा कि उन्होंने लोगों के बचाव और राहत के लिये प्रयास जारी हैं पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है और लोग खुले आसमान में पेड़ों के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं।








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