उड़ीसा, 13 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) बेरहमपुर के धर्माध्यक्ष सरतचंद्रा नायक कहा है कि
वे मृत्यु दण्ड की किसी भी सजा का विरोध करते हैं ।
उन्होंने उक्त बातें
उस समय कहीं जब एक फेडरल एजेंसी ने सर्वोच्च न्यायालय से माँग की कि वे मयूरभंज जिले
में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्रहम स्टेन्स और उसके दो नाबालिग बच्चों को ज़िन्दा जलानेवाले
को फाँसी की सजा दे।
विदित हो कि सन् 1999 ईस्वी में उड़ीसा के मयुरभंज
जिले में कोढ़ रोगियों के बीच कार्यरत मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बच्चों को ज़िन्दा
जला दिया गया था।
सीबीआई की जाँच समिति ने कहा है कि स्टेन्स को जलाये वाले
दोषी रविन्द्रपाल सिंह उर्फ दारासिंह को फाँसी की सजा दी जाये।
जाँच अदालत ने
सिंह को फाँसी की सजा सुनायी है पर उड़ीसा हाई कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा देने
की सिफारिश की है।
धर्माध्यक्ष ने पक्ष को दुहराते हुए कहा कि चूँकि दारा
सिंह समाज के लिये खतरनाक हैं उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिये।
उधर
शांति और न्याय के लिये बनी धर्मप्रांतीय समिति के अध्यक्ष फादर चार्ल्स इरुदियम ने कहा
कि सिंह को सजा देना उन लोगों के लिये एक बड़ी सबक होगी जो न्याय का पैसे और राजनीतिक
प्रभाव से सौदा करना चाहते हैं।
एआईसीसी के अध्यक्ष जोन दयाल ने भी मृत्यु
दंड की सजा का विरोध किया है। जिस तरह से हिन्दु कट्टरवादियों ने स्टेन और उसके बच्चों
की बेरहमी से हत्या कर दी उसकी सजा तो कठोर ही होनी चाहिये पर स्टेन्स की धर्मपत्नी औऱ
काथलिक कलीसिया ने आरंभ से विरोध किया है।
विदित हो कट्टरवादियों ने स्टेन्स
पर आरोप लगाया था कि कोढ़ रोगियों की सेवा की आड़ में धर्मप्रचार किया करते थे। पर विभिन्न
सूत्रों के अनुसार इसके कोई सबूत नहीं पाये गये।