भारत में 50 वर्षों से धर्मशिक्षा का अध्यापन कर रही एक काथलिक धर्मबहन ने कहा है कि
धर्मशिक्षा देने के तरीके बच्चों को आकर्षित नहीं कर रहे हैं। कोलकाता में धर्मशिक्षा
सबंधी महाधर्मप्रांतीय समिति की संयोजिका सिस्टर बेरनादेत्त डि रोजारियो ने कहा कि सही
पाठयक्रम के अभाव में स्कूलों में धर्मशिक्षा कक्षा का महत्व धीरे धीरे कम हो गया है
तथा विद्यार्थियों को काथलिक विश्वास की शिक्षा पाने हेतु प्रोत्साहन देने के लिए काथलिक
लोकधर्मी शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों में भी संवेग की कमी है। धर्मशिक्षिका दोरोथी
डिकोस्टा ने कहा कि बालिकाएँ चाहती हैं कि धर्मशिक्षा के पाठ रंगीन, आकर्षक तथा क्रिया
कलाप उन्मुख हों। 25 वर्षों से धर्मशिक्षा पढा रहीं इरेना रेखा विश्वास ने कहा कि अनेक
काथलिक विद्यार्थी हिन्दु विद्यालयों में पढ़ते हैं जहाँ उन्हें अपने धर्म के बारे में
पढ़ने का कोई उपाय नहीं है और इसलिए पल्ली में पढ़ायी जानेवाली धर्मशिक्षा कक्षा का महत्व
बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि अनेक मामलों में अभिभावकों को सिखाया जाना है कि वे धर्मशिक्षा
अध्ययन को महत्व दें।