कार्डिनल फ्रांसिस जोर्ज द्वारा अमरीकी राष्ट्रपति से इराक में ईसाई समुदाय की सहायता
के लिए आगे आने का आग्रह
अमरीकी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और शिकागो के कार्डिनल फ्रांसिस जोर्ज ने अमरीकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा से आग्रह किया है कि वे इराक में ईसाई समुदाय की सहायता के लिए
आगे आयें। उन्होंने 9 नवम्बर के अपने पत्र में कहा कि यह अमरीका का नैतिक दायित्व है
कि वह हिंसा पर रोक लगाने के लिए इराकी सरकार के साथ प्रभावशाली तरीके से काम करे। उन्होंने
कहा कि युद्ध से पहले धर्माध्यक्षों के सम्मेलन ने इराक में सैन्य हस्तक्षेप किये जाने
की संभावना के संबंध में गंभीर नैतिक सवाल उठाये थे तथा अप्रत्याशित परिणामों की चेतावनी
दिया था। इराक में ईसाई समुदाय की संख्या कम होती जाना तथा सतत हिंसा के कारण त्रासदीपूर्ण
परिणामों के साथ ही सब इराकियों के लिए खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। कार्डिनल जोर्ज
ने कहा कि हमारी सेना के जवानों ने साहस और निष्ठा से सेवा दिये हैं तथा इराक में अमरीका
के नेतृत्ववाले सशस्त्र युद्ध की समाप्ति का हम समवागत करते हैं तथापि अमरीका अब तक इराकियों
को मदद करने में विफल रहा है कि वे राजनैतिक इच्छा शक्ति का विकास करें और सब नागरिकों
विशेष रूप से ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के जीवन की सुरक्षा के लिए असरकारी रणनीतियों
को लागू करें। कार्डिनल जोर्ज ने कहा कि शरणार्थियों और विस्थापितों को उनके घरों
तक वापस आने में सहायता करने के लिए और अधिक उपाय किये जाने की जरूरत है। इराक में हमला
करने के कारण यह हमारे देश का नैतिक दायित्व है कि इराकियों को छोड़ नहीं दिया जाये जो
स्वयं की रक्षा नहीं कर सकते हैं। 31 अक्तूबर को बगदाद स्थित सीरियाई काथलिक गिरजाघर
में निर्दोष ईसाईयों की व्यापक स्तर पर हुई हत्या की घटना के परिप्रेक्ष्य में कार्डिनल
जोर्ज ने कहा कि अमरीका इराक को मदद करने के अपने प्रयासों को दोगुणा करे ताकि इराकी
सरकार सब इराकियों के लिए सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए काम कर सके।