आयरलैंड के डब्लिन में सन 2012 में सम्पन्न होनेवाला यूखरिस्तीय कांग्रेस
(वाटिकन सिटी 11 नवम्बर जेनिथ) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने आयरलैंड के डब्लिन में सन
2012 में सम्पन्न होनेवाले यूखरिस्तीय कांग्रेस की जुबिली विशेषता पर जोर दिया है जब
इस सम्मेलन की 50 वीं वर्षगाँठ मनायी जायेगी। संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय सम्मेलन
संबंधी परमधर्मपीठीय समिति की पूर्णकालिक सभा के प्रतिभागियों को 11 नवम्बर को सम्बोधित
करते हुए उक्त चिंतन व्यक्त किया। आयरलैंड के डब्लिन में सन 2012 में द यूखरिस्त कम्यूनियन
विद क्राइस्ट एंड विद वन अनदर शीर्षक से अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय सम्मेलन का आयोजन किया
जायेगा । संत पापा ने कहा कि यह सुखद संयोग है जो यूखरिस्तीय सम्मेलन की सार्थकता
को बढ़ाता है। म्यूनिख में आयोजित यूखरिस्तीय सम्मेलन की 50 वीं वर्षगाँठ है जब कलीसियाई
घटनाओं की समझ में टर्निंग पाइंट रहा। संत पापा ने कहा कि 2012 के डब्लिन सम्मेलन की
जुबिली प्रकृति होगी वस्तुतः यह 50 वां सम्मेलन होगा।
संत पापा ने कलीसिया के
लम्बे इतिहास में यूखरिस्तीय सम्मेलनों पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि यूखरिस्त सदैव
यूखरिस्तीय ख्रीस्त के चारों ओर विश्वास का समारोह है, मानवजाति के लिए सर्वोच्च बलिदान
देनेवाले ख्रीस्त। उन्होंने कहा कि यूखरिस्त में कलीसिया की निधि निहित है अर्थात स्वयं
ख्रीस्त जिन्होंने मानवजाति की मुक्ति के लिए स्वयं को क्रूस पर बलिदान कर दिया। ख्रीस्त
की देह के साथ सामुदायिकता में कलीसिया सम्पूर्ण मानवजाति के लिए रहस्य के उर्धव और क्षैतिज
एकता का पहलू बनती है। ख्रीस्त का शरीर कलीसिया की एकता की उत्पादनकारी शक्ति निरंतर
कलीसिया को बनाती है जो लोगों के मध्य सामुदायिकता का संचार करती है।