इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्माध्यक्षों के लिए संत पापा का संदेश
(सेदोक 9 नवम्बर) इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 62 वीं सामान्य आमसभा इटली के असीसी
शहर में 8 से 11 नवम्बर तक सम्पन्न हो रही है। संत पापा ने सम्मेलन के प्रतिभागी धर्माध्यक्षों
को प्रेषित संदेश में उनसे आग्रह किया है कि वे पूजनधर्मविधि को शिक्षा के सतत स्रोत
के रूप में बढ़ावा दें ताकि सुसमाचार आधारित जीवन जीया जा सके। उन्होंने कहा कि यह येसु
ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार कराता है जो अपने वचन और काम से निरंतर कलीसिया का निर्माण
करते हैं तथा इसे बंधुत्व और मिशन के लिए तैयार करते हैं। पूजनधर्मविधि में आंतरिक तार्किकता
और संवादशीलता है जो हमें सक्रिय,फलप्रद और सजग रूप से प्रशिक्षित करती है। संत पापा
ने कहा कि वर्तमान समय के समान ही असीसी के संत फ्रांसिस ऐसे समय में जीवन जीये जब गहन
सांस्कृतिक परिवर्तन हुए, नये आध्यात्मिक अनुभवों का प्रसार हुआ तथा विश्वविद्यालयों
और नगरपालिकाओं का विकास हुआ।
संत पापा ने कहा है कि आधुनिक मानव ने विज्ञान
और तकनीकि के विकास में बहुत अधिक ऊर्जा का निवेश किया है तथा उल्लेखनीय सफलताएँ हासिल
की हैं। यह प्रगति बहुधा ईसाईयत की बुनियादी बातों के प्रतिकूल हुई हैं जो यूरोप महाद्वीप
के समृद्ध इतिहास में गहन रूप से जुडी है। नैतिक बातों से इंकार नहीं किया जा रहा है
तथापि सार्वजनिक स्थल से इन्हें दूर किया जाता है। यह उचित है कि उपायों का चयन करते
समय शैक्षणिक दायित्व को ध्यान में रखा जाये जो मानव और भावी पीढ़ी के कल्याण के लिए
हो। परिवार तथा शिक्षा के महत्व को समर्थन दिया जो मानव को आंतरिक रूप से बनाती है।
संत पापा ने कहा है कि इटली में कलीसिया मानव की इच्छा और जरूरतों को समझते हुए सुनने
तथा संवाद करने की तत्परता के साथ काम करने की अपनी इच्छा का नवीनीकरण करे ताकि हर व्यक्ति
येसु ख्रीस्त में अपने अस्तित्व और काम के अंतिम अर्थ को पाये अर्थात अनन्तकाल में ईश्वर
के साथ प्रेमपूर्ण साहचर्य को प्राप्त करे। हमें चाहिए कि ख्रीस्तीय जीवन में यूखरिस्तीय
रहस्य के मह्त्व और प्रभावशीलता के प्रति जागरूक रहें और शुद्धता और पवित्रता का जीवन
जीयें जो ख्रीस्त के प्रेम की साक्षी दे।