2010-11-08 14:11:57

मनुष्य ही ईश्वर का सच्चा मंदिर है - संत पापा


बारसेलोना, स्पेन 8 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि " मनुष्य ही ईश्वर का सच्चा मंदिर है। "

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने 7 नवम्बर, रविवार को बारसेलोना में ‘सागरादा फामिलिया’ अर्थात् ‘पवित्र परिवार’ महागिरजाघर को ईश्वर को समर्पित करने के बाद कैथलिक चैरिटी केन्द्र में अपंगों एवं उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

" ओबरा बेनेफिको सोशल नेन देईउ अर्थात् सोशल चैरिटि गॉड चाइल्ड " सेवा केन्द्र फ्रांसिसकन सिस्टर्स ऑफ सेक्रेड हार्टस् द्वारा सन् 1892 में स्थापित एक समाज सेवा केन्द्र है अपंगों के लिये समर्पित है। अब यह केन्द्र मानसिक रूप से बीमार और वृद्धों को भी अपनी सेवायें देती है।

संत पापा ने कहा कि मानव ही ईश्वर का सच्चा मंदिर है और इसलिये प्रत्येक मानव को प्रेम और सम्मान दिया जाना चाहिये।

संत पापा ने जिस केन्द्र का दौरा किया यह अब अपंगों की सेवा का मुख्यालय बन गया है। संत पापा ने कहा कि कलीसिया चाहती है कि वह येसु की उन बातों को अपने जीवन में अमल करे जिसमें उन्होंने कहा था कि " जो तुमने अपने किसी भी छोटे-से-छोटे व्यक्ति के लिये कुछ किया वह तुमने मेरे लिये किया।"

उन्होंने कहा कि इस भूमि में येसु के इन वचनों का व्यापक प्रभाव देखा गया है आज मैं चाहता हूँ कि आप भी इनसे प्रेरणा ग्रहण करें और अपने को बीमारों और विकलांगों की सेवा में समर्पित करें। संत पापा ने कहा कि दवाइयों के क्षेत्र में विश्व ने बहुत प्रगति कर ली है और इसलिये और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

चिकित्सा तकनीकि में विकास किसी भी तरह से मानव और जीवन की मर्यादा को क्षति कदापि नहीं पहुँचायें ताकि बीमारों और विकलांगों उचित मानवीय प्रेम और सम्मान प्राप्त कर सकें। बच्चों की ओर इंगित करते हुए संत पापा ने कहा कि " आप ईश्वर की दृष्टि में मूल्यवान हैं और मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि मेरे दिल में आपलोगों के लिये विशेष जगह है।"

मैं आपलोगों के लिये रोज दिन प्रार्थना करता हूँ । मैं आप लोगों से प्रार्थना की याचना करता हूँ कि ताकि मैं येसु द्वारा सौंपे गये मिशन को वफ़ादारी से पूर्ण कर सकूँ।

संत पापा ने कहा कि आज हम उनकी याद करें जिन्होंने अपना जीवन पीड़ितों के लिये सौंप दिया है और लगातार विकलांगों की सेवा में लगे हुए हैं ताकि विकलांग अपनी सीमाओं के कारण दरकिनार न कर दिये जायें वरन् समाज में मानव होने का उचित स्थान प्राप्त कर सकें।

संत पापा इस अवसर पर उन पुरोहितों की सराहना की जो बीमारों को देखने के लिये अस्पताल या उनके घर जा पाते हैं। यह एक ऐसा नेक कार्य है जिसे कलीसिया भले समारितान का अनुसरण करते हुए जारी रखती है।













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