2010-11-07 14:55:11

सागार्दा फामिलिया के भव्य महागिरजाघर संत पापा का उपदेश


मेरे अति प्रिय भाईयो एवं बहनों, " ईश्वर में आनन्दित होना ही आपकी शक्ति है आप शोक मत कीजिए " पहले पाठ के इन शब्दों से मैं आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मैं माननीय राजा और महारानी और कार्डिनल लुईस मार्तिनेजे सिसताक को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस सागार्दा फामिलिया के भव्य महागिरजाघर के समर्पण समारोह के लिये मुझे आमंत्रित किया है।

आज का दिन हमारे लिये ऐतिहासिक है जब हमारी आशा परिश्रम औऱ उदारता जो वर्षों पहले शुरु हुई थी पूर्णता तक पहुँच पायी है। आज मैं उन सब लोगों को याद करना चाहूँगा जिन्होंने इस महागिरजाघर को बनाने की योजना बनायी और इसे पूरा करने में अपना योगदान दिया। आज हम उस महान इंजीनियर अंतोनी गौदी की याद करते हैं जिन्हें अपनी सर्जनात्मक शक्ति का प्रयोग करते हुए इस योजना की कल्पना की और एक अच्छे कैथोलिक के रूप में अपना समपर्पित और आत्मसंयम का जीवन बिताते हुए अंतिम समय तक इस विश्वास को जीवित रखा कि महागिरजाघर का निर्माण कार्य पूरा हो जाये।

यह घटना कतालोनिया की धरती के लिये अति महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसने 19वीं सी के अंत में कई संतों धर्मात्माओं संस्थापकों शहीदो और कई कवियों को प्रदान किये हैं।अगर हम विचार करें तो हम कह सकते हैं कि इस पवित्र धरती का इतिहास पवित्रता और कलात्मक सृष्टि का रहा है और जिसकी प्रेरणा थी विश्वास।

आज इस महागिरजाघर के रूप में उस महान् वरदान को हम ईश्वर को समर्पित कर रहे हैं। आज यहाँ उपस्थित होने की जो मुझे खुशी मिल रही है वह इसलिये भी कि जब से इस तीर्थस्थल का निर्माण कार्य आरंभ हुआ लोगों ने संत जोसेफ को अपना संरक्षक सुना। पूरे समुदाय का संत जोसेफ के साथ एक विशेष आत्मीयता रही है। बताया जाता है कि निर्माण कार्य में आ रहे व्यावधानों का सामना करते हुए अंतोनी गौदी कई बार कहा करते थे कि " संत जोसेफ ही निर्माण कार्य को पूरा कराएँगे ।" इसलिये यह ध्यान देने योग्य बात है कि संत पापा को भी अपने बपतिस्मा में जोसेफ नाम ही दिया गया था।

बहनों और भाइयो मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूँ कि जब हम एक महागिरजाघर को प्रभु को समर्पित कर रहे हैं तो वास्तव में हम क्या कर रहे हैं। आज हम नम्रतापूर्वक विश्वासभरा प्रसन्न दिल लिये यहाँ आये हैं ताकि हम उस कृति को ईश्वर को चढ़ा सकें जो ईश्वर की सहायता से मानव की बुद्धिमत्ता और उसकी सर्जनात्मक परिश्रम का अनुपम वरदान है।

आज यह महागिरजाघर अदृश्य ईश्वर का दृश्य रूप बन कर हमारे यहाँ खड़ा है और अपने उँचे सुवाले या शिखर हमारा ध्यान इस ओर खींच रहे हैं कि हम उस सर्वोत्तम प्रकाश को देखें सबसे शक्तिशाली ऊँचा और सुन्दर है।महागिरजाघर के शिखरों के द्वारा गौदी ने जिस एकता को दिखाने का प्रयास किया है उसकी प्रेरणा उन तीन किताबों से मिलीं जिन्हें गौदी बारंबार पढ़ा करता था।

प्रकृति संबंधी किताब धर्मग्रंथ और पूजनसंबंधी किताब। और इन्हीं किताबों को पढ़कर गौदी ने महागिरजाघर के निर्माण की कल्पना की जिसमें दुनिया और मुक्ति की बातों का ठीक उसी तरह से जिक्र है जैसा कि बाइबल और धर्मविधि में इसे प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने पत्थरों पेड़ों और मानव जीवन को इस तरह से एक कर दिया ताकि वे एक साथ मिलकर उसी एकमात्र ईश्वर की आराधना और महिमा गायें जिसने इनकी सृष्टि की। गौदी ने पवित्र तस्वीरों को महागिरजाघर के बाहर बनाया ताकि येसु का जन्म दुःखभोग मृत्यु और पुनरुत्थान के ईश्वरीय रहस्य लोगों के लिये प्रकट हो सके। इस तरह से गौदी ने मानव के अंतःकरण को जागृत कर पाया जिसके द्वारा ईश्वरीय रहस्य मानव के बीच में हों और वे येसु मसीह के द्वारा आलोकित और पवित्र किये जायें।

ऐसा करके गौदी ने इस युग के एक बहुत बड़े कार्य को पूरा कर पाने में सफलता पायी वह है मानव चेतना और ख्रीस्तीय चेतना, जीवन और अनन्त जीवन, चीज़ों की सुन्दरता और ईश्वर की सुन्दरता। गौदी ने इनको अपनी बातों से दुनिया को नहीं बताया पर उन्होंने पत्थरों डालियों लाइनों बिन्दुओं और समतल मैदानों के द्वारा किया है।

सच पूछा जाये तो सुन्दरता का अनुभव करना मानव की बुनियादी आवश्यता है। जब व्यक्ति सुन्दरता का अनुभव करता है तो उससे वह शांति और आशा दोनों फल प्राप्त करता है। सुन्दरता ईश्वर की उपस्थिति को भी प्रकाशित करता है क्योंकि सुन्दरता हमें मुक्त करता है और हम स्वार्थ की भावना से ऊपर उठ सकते हैं।

हमने इस पवित्र भूमि को ईश्वर को अर्पित किया जिसने अपने पुत्र येसु में अपने को हमे दिया है। दिव्य शब्द येसु मसीह और कलीसिया ईश्वर की ये तीन महत्वपूर्ण प्रकाशना हैं।

जैसा कि संत पौल ने कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये कि वह अपना अपने को पूर्ण बनाये और येसु मसीह को अपना नींव बनायें। येसु मसीह ही कलीसिया की नींव है और उन्हीं की शक्ति से कलीसिया और इसके विश्वासियों और दुनिया कीएकता संभव होगी। कलीसिया अपने आप में कुछ नहीं है यह तो येसु मसीह का एक साधन और चिह्न है और उसी के अधिकार से यह मानव की सेवा में सपर्पित है।

आज येसु कलीसिया को इस बात के लिये आमंत्रित कर रही है कि वह एक साथ मिल कर दुनिया को ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कराये उसके प्रेम को दुनिया को बाँटे। दुनिया को शांति दे स्वतंत्रता दे और आपसी सद्भावना का प्रचार करे। सागारदा फमिलिया महागिरजाघर का समर्पण इस लिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आज का मानव चाहता है कि वह खुद का निर्माण बिना भगवान के करे।

गौदी ने जिस महागिरजाघर की नींव रखी वह हमें यही बताता है कि मानव का महत्त्व इसीलिये है क्योंकि मानव के जीवन में ईश्वर है। मनुष्य का वास्तविक मूल्य या महत्व इसी में है कि वह भगवान की ओर लौटे। भगवान ही सबका मूल और केन्द्र में है।
गौदी ने अपने को ईश्वर की आत्मा की सहायता से एक ऐसा सुन्दर और भव्य महागिरजाघर का निर्माण कर पाया जो आलीशान है जहाँ विश्वास और आशा है जो मानव को ईश्वर तक ले जाने में सक्ष्म है। गौदी ने एक बार अपने दिल की भावनों को व्यक्त करते हुए कहा था। महागिरजाघर ही एक सबसे योग्य वस्तु है जिसे व्यक्ति अपने दिल से ईश्वर को अर्पित कर सकता है क्योंकि मानव के लिये धर्म मानव का सबसे उत्कृष्ट पक्ष है।
आज अगर हम ईश्वर को हमारे दिल में राज्य करने दे ईसा मसीह को हमार दिल में जगह दें हम कभी पश्चात्ताप नहीं करेंगे हम सदा उसका महिमागान करेंगे और उसकी दया का बखान करेंगे।

इस महागिरजाघर का निर्माण कार्य संत जोसेफ के मित्रों के द्वारा हुआ और वे चाहते थे इसे नाजरेत के पवित्र परिवार को समर्पित करे। आप को मालूम होगा कि येसु मरियम और जोसेफ को दुनिया उनके आपसी प्रेम सेवा और श्रम के लिये सम्मान देती रही है। आज दुनिया ने बहुत प्रगति कर ली है पर यह प्रगति तब ही अर्थपूर्ण होगी जब यह परिवारों की रक्षा करती है और इसकी इस तरह से मदद देती है कि यह परिवार परिवार के सदस्यों के जन्म विकास और प्राकृतिक अंत तक वफ़ादार रखती है।

जहाँ प्रेम और ईमानदारी है वहीं सच्ची स्वतंत्रता का जन्म और विकास हो सकता है। इसलिये काथलिक कलीसिया चाहती है कि राज्य परिवारों की मदद करे ताकि पारिवारिक मूल्य मजबूत हो और बच्चों की परवारिश उचित तरीके से हो सके।

इसीलिये काथलिक कलीसिया उन बातों का विरोध करती है जो मानव जीवन का सम्मान नहीं करते और उन बातों को समर्थन करती है जो प्राकृतिक रूप से पारिवारिक मूल्यों का मजबूत करती है।

आज मैं कतालोनिया की धरती से ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ ऊशवर लोगों में नया उत्साह प्रदान करे ताकि वे ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य दें ईश्वरीय सुन्दरता के लोगों को दे पायें प्रेम के जलते दीपक बनें ताकि लोग विश्वास करें कि ईश्वर ने उन्हें भेजा है।

प्यारे भाइयो एवं बहनों इस आलीशान और भव्य महागिरजागर से मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ यहाँ के लोगों को ईश्वरीय कृपा प्राप्त हो और यहाँ बार्सेलोना से पूरे विश्व में ईश्वरीय आशिष फैले। माता मरिया की मध्यस्थता से मैं प्रार्थना करता हूँ दरिद्र दया प्राप्त करें पीड़ित स्वतंत्रता और दुनिया के सब लोगों को ईश्वर की संतान होने का गौरव प्राप्त हो








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