2010-11-06 17:18:41

सान्तियागो दे कोमपोस्तेला की पावन भूमि में संत पापा का भाषण


माननीय धर्माध्यक्षो, उपस्थित देवियो, सज्जनों, पुरोहितो, धर्मबंधुओ, धर्मबहनों और मित्रो, सान्तियागो दे कोमपोस्तेला की पावन भूमि में मैं सहर्ष ईश्वरीय स्नेह और धन्यवादी ह्रदय से धर्माध्यक्ष जुलिया बारियो और आप आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मैं आपलोगों को बताना चाहता हूँ कि तीर्थयात्रा करने के अर्थ यह नहीं हा कि तीर्थस्थल में जाना और वहाँ की ऐतिहासिक प्राकृतिक और कला की वस्तुओं की तारीफ़ में अपना समय बिता देना।

तीर्थयात्रा का वास्तविक अर्थ है अपने आप से बाहर निकलना और उन स्थानों का भ्रमण करना जहाँ ईश्वर से अपने आपको प्रकट किया है। तीर्थयात्रा का अर्थ है वैसे स्थलों के दर्शन करना जहाँ ईश्वर की कृपाचमकी हो और उस चमक से विश्वासियों के मन और दिल को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं।

ईसाइयों के लिये तीर्थयात्रा करने का विशेष अर्थ होता है। कई ईसाई तीर्थयात्रा के लिये पवित्र भूमि जाते हैं और वहाँ उन स्थानों के दर्शन करते हैं जहाँ येसु मसीह ने अपना जीवन जीया, दुःख उठाया, मर गये और पुनर्जीवित भी हुए। कई ईसाई रोम जाते हैं जो एक ऐसा ऐतिहासिक नगर है जहाँ संत पीटर औऱ पौल की शहादत हुई।

इसी प्रकार ईसाई कोमपोस्तेला की तीर्थयात्रा करते हैं जहाँ प्रेरित संत जेम्स शहीद हुए और इसके द्वारा वे चाहते हैं कि उनका विश्वास और ईश्वर के प्रति उनका प्रेम सुदृढ़ हो। कोमपोसतेला के पवित्र वर्ष में जब इसके समर्पण की 8सौवीं वर्षगाँठ मनायी जा रही है संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में मैं भी " संत जेम्स के घर " में तीर्थ करने आया हूँ।

मैं चाहता हूँ कि मेरी इस तीर्थयात्रा से लोगों का विश्वास मजबूत हो आपकी आशा तेज हो ताकि आप प्रेरित संत जेम्स की मध्यस्थता से सुसमाचार के प्रचार क लिये कार्य कर सकें। जब मैने संत जेम्स की पवित्र मूर्ति का आलिंगन किया तब मैंने कलीसिया के बच्चों के लिये विशेष प्रार्थना की। इस कलीसिया की शुरुआत ईश्वरीय कृपा से हुई है।

विश्वास के द्वारा हमने पवित्र तृत्व के इस प्रेम रहस्य को जान है। ईश्वर ने हम सबों को भी विशेष रूप से प्यार किया है और हमें पवित्र किया है। वास्तव में यह

कलीसिया ईश्वर का प्रेम है और ईश्वर चाहते हैं कि कलीसिया के सदस्य भी एक-दूसरे को प्यार करें और उनमें ईश्वर को पहचानें और इसी में मानव जीवन का सबसे बड़ा सत्य है और सच्ची स्वतंत्रता की शुरुआत है।

मैं इस बात को भी बताना चाहता हूँ कि सत्य और स्वतंत्रता का गहरा संबंध है। ईमानदारीपूर्वक सत्य की खोज़ करने से ही सच्ची स्वतंत्रता की प्राप्ति हो सकती है।
काथलिक कलीसिया चाहती है कि वे मानव की मर्यादा के लिये कार्य करे व सत्य एवं स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिये अपनी सेवायें दे।

कलीसिया सदा दोनों मूल्यों की सेवा में कार्यरत रहेगी क्योंकि मानव का जीवन खतरे में है। कलीसिया ने सदा से यही चाहा क्योंकि ईश्वर ने अन्य सभी सृष्ट जीवों में मानव को सबसे ज़्यादा प्यार किया। सत्य की आकांक्षा न्याय और स्वतंत्रता के अभाव में मानव का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।

गलीचिया की विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थली कोमपोसतेला के इस प्रांगण से मैं स्पेन की पूरी कलीसिया को यह संदेश देना चाहता हूँ कि आप येसु मसीह से आलोकित होकर अपना जीवन जीयें, विश्वास की घोषणा लगातार और सहर्ष कीजिये और एक समर्पित नागरिक के रूप में अपना जीवन बिताइये।

ईश्वर आपको यह जानने की कृपा दे कि आप ईश्वर की प्यारी संतान हैं, आप कलीसिया को अधिकाधिक प्यार करें और अपना योगदान दें ताकि दुनिया के लोग येसु मसीह के पास आ सकें।

आप ईश्वर से प्रार्थना भी करें ताकि युवा ईश्वरीय बुलाहट को पहचान सकें और पुरोहित और धर्मसमाजी बनकर नये तरीके से सुसमाचार प्रचार में योगदान दे सकें।

अंत में मैं इस बात की तारीफ़ करना चाहता हूँ कि स्पेन के काथलिकों की उदारता से विश्व में कई सेवा संस्थान चलाये जा रहे हैं जिससे मानव का विकास संभव हो पाया है। स्पेनवासी इसे जारी रखें।

हाल के दिनों में स्पेन ने विश्व को आर्थिक मंदी से उबरने के लिये और प्राकृतिक विपदाओं के समय मदद पहुँचायी है जिससे पूरे मानव समाज को लाभ हुए हैं।

मेरी आशा है कि आप संत जेम्स के समान ही जीवित येसु का साक्ष्य देने में ईश्वर की महत्तर महिमा करेंगे और कमजोर और ज़रूरतमंदों के कल्याण में अपना जीवन बितायेंगे।










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