2010-11-06 17:20:33

कामपोसतेला में आयोजत मिस्सा में संत पापा का उपदेश


येसु मसीह में मेरे अति प्रति भाइयो एवं बहनों,
मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जिसने जो इस ऐतिहासिक, सांस्कृतिक आध्यात्मिक पवित्र भूमि में उपस्थित हैं । इस पवित्र वर्ष में मैं आपलोगों के बीच एक तीर्थयात्री के रूप में यहाँ आया हूँ। मैं अपने को उनलोगों में से एक समझता हूँ जिन्होंने अपनी आध्यात्मिक प्यास बुझाने के लिये कामपोसतेला की यात्रा की।

संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में यह मेरे लिये गौरव की बात है कि उस भूमि में जहाँ के लोग येसु के प्रेरित संत जेम्स को प्राचीन काल से अपना संरक्षक मानते हैं। आज के पहले पाठ में इस बात की चर्चा की गयी है कि प्रेरित येसु के पुनरुत्थान का साक्ष्य दते हैं। सच में ईसाई धर्म के शुरु से ही हम इस बात का सामना नहीं कर रहे हैं कि मानव ने क्या किया है पर इस बात का कि ईश्वर ने येसु को पवित्र और सच्चा सिद्ध किया है।

एक ऐसे येसु को जिसे मानव अदालत ने दोषी ठहराया था। ईश्वर ने येसु को मृत्यु से बचाया और आज भी ईश्वर सभी ईसाइयों को न्याय प्रदान करेगा जिन्हें अतीत में इतिहास ने दोषी ठहराने का प्रयास किया ।प्रेरितों ने येसु के जीव मृत्यु क और पुनरुत्थान की घोषणा की है। बहनों एवं भाइयों आज प्रेरितों का अनुसरण करने के लिये बुलाये गये हैं। आज हम बुलाये गये हैं ताकि हम ईश्वर को रोज दिन अच्छी तरह से जाने और सुसमाचार का पूरे उत्साह से साक्ष्य दें।

आज हम जिनके साथ जीते हैं उन्हें इससे बड़ा और कोई संदेश नहीं दे सकते हैं कि प्रभु जीवित हैं। अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो हम प्रेरित संत पौल का नजदीकी से अनुसरण कर पायेंगे जिसने अपने जीवन में विभिन्न दुःखों विपत्तियों और चुनौतियों का सामना करते हुए कहा था हमारे पास एक ऐसा खज़ाना है जो इतना शक्तिशाली है कि यह मानव की शक्ति के परे है। यह ईश्वर की ओर से हम दिया गया है।

प्रेरित संत पौल हमें इस बात के लिये भी आमंत्रित करते हैं कि हम येसु के जीवन से नम्र बनना सीखें जिन्होंने सदा ही अपने पिता की इच्छा नम्रतापूर्वक किया और अपना सारा जीवन दूसरों के लिये दे दिया। जो येसु के जीवन का अनुसरण करना चाहते हैं उनके लिये दूसरों की सेवा करना एक विकल्प नहीं है पर एक ज़रूरत है।

येसु के अनुसार दूसरों की सेवा इस बात से नहीं मापी जाती है कि हमने दूसरों के लिये क्या किया है हम ने किस तरह से उनकी मदद की पर येसु के अनुसार सेवा का अर्थ है कि हमने किस तरह से ईश्वरीय प्रेम को लोगों के बीच प्रस्तुत किया।और ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य दिया।

येसु चाहते हैं कि उसके शिष्य ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य प्रेम और सेवा के द्वारा दें। येसु देश के शासकों से कहते हैं कि अगर उनमें निःस्वार्थ की भावना न रहे तो इससे कई तरह के अन्याय और शोषण पनपने लगते हैं। मैं चाहता हूँ यह संदेश युवाओं तक पहुँचे ताकि वे भी येसु के समान अपना जीवन जीयें और वे इस दुनिया में अन्यों के लिये आशा के बीच बन सकें।

कोमपोस्तेला में जो पवित्र वर्ष का समारोह मनाया जा रहा यह भी हमें इस बात कि याद दिलाता है कि हज़ारों लोग कोमपोस्तेला के तीर्थ स्थल में आते हैं और प्रेरित संत जेम्स का आलिंगन करते हैं और इस तीर्थयात्रा में वे इस बात का गहरा अनुभव करते हैं कि आज मानव को मानव से सिर्फ एक बात जोड़ती है और वह है मानव के अंदर सत्य की खोज। प्रत्येक व्यक्ति सत्य और सुन्दरता की खोज करता है।

प्रत्येक मानव इस बात का गहरा अनुभव करता है कि उसे कृपा की ज़रूरत है उसे प्रेम शांति क्षमा और मुक्ति चाहिये। और प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण में एक वाणी गूँजती रहती है वह वाणी है ईश्वर की आवाज़।

वह वाणी है पवित्र आत्मा की सक्रियता। प्यारे भाइयों एवं बहनों यही सत्य है कि जो शांति की तलाश करते हैं जो प्रार्थना करते हैं जो तन-मन-धन से ईश्वर की तलाश करते हैं उन्हें ईश्वर वह दिव्य ज्योति देते हैं जिसके आलोक में वे येसु को पहचान पाते हैं। जो भी व्यक्ति सान्तियागो की तीर्थयात्रा में ‘पोरतिको दे ला ग्लोरिया’ पहुँचते हैं उन्हें ईश्वर अपनी आशिष अवश्य प्रदान करते हैं।

आज मैं एक तीर्थयात्री के रूप में अपनी आँखें ऊपर उठाकर विचार करता हूँ कि इन ईसाई धर्म का यूरोप के लिये क्या विशेष योगदान रहा है। ईसाई धर्म के योगदान के बारे साधारण तौर से यही कहा जा सकता है कि इसने यूरोप को बताया है कि ईश्वर जीवित है और उन्होंने हमें जीवन दिया है। ईश्वर ही सर्वोच्च है वफ़ादार है और उसका प्रेम अनन्त है ।

ईश्वर सभी सत्य भला और सुन्दर चीजों की चरमसीमा है यह तारीफ़ के योग्य है पर मानव के ह्रदय इस पूर्ण रूप से पाने के लिये तरसता रहता है। येसु की संत तेरेसा ने इसे समझा था जब और तब उन्होंने लिखा " ईश्वर ही पूर्ण संतुष्टि दे सकता है " दुर्भाग्यवश हाल के दिनों में यूरोप में लोगों में एक विचार हावी होने लगा है कि ईश्वर मानव के प्रतिद्वदी है और मानव स्वतंत्रता का विरोधी है।

और इस विचारधारा ने कुछ लोगों के मन को इस तरह से दबोचा कि उन्होंने ईश्वर द्वारा भेजे गये सत्य के प्रकाश को धुँधला करने का प्रयास किया ताकि सबका सर्वनाश हो और लोग अनन्त जीवन पाने से वंचित रह जायें।

बाईबल के प्रज्ञा की किताब के लेखक का कहना है कि यदि ईश्वर लोगों को प्यार नहीं करते तो कैसे वे उसके लिये इतनी सुन्दर दुनिया बनाते। अगर वे दुनिया से प्रेम नहीं करते तो क्यों वे अपने आपको दुनिया के सामने प्रकाशित करते। मानव के सृष्टिकर्त्ता ईश्वर है और वे ही हमारी स्वतंत्रता की नींव और केन्द्रबिन्दु हैं। हम अंधकार में नहीं जी सकते हैं ।

हम ईश्वर के बगैर नहीं जी सकते हैं। आज मैं प्रश्न करना चाहता हूँ कि जब ईश्वर दुनिया की ज्योति है शक्ति हैं सभी के ह्रदय के केन्द्र में हैं तो मानव क्यों उनके इस अधिकार से उन्हें वंचित करना चाहता है कि वे दुनिया को प्रकाशित करें।

आज इसी लिये यूरोप की धरती को ईश्वर की वाणी को सुनने की ज़रूरत है और इस आवाज़ को रोज दिन के जीवन में सुनने की आवश्यकता है इसे आपसी रिश्ते में सुनने की ज़रूरत है इसे रोज दिन के चुनौती भरे जीवन में सुनने की आवश्यकता है। मैं आज बताना चाहता हूँ कि यूरोप आज ईश्वर के समक्ष अपने आपको रखे उससे बिना भय मिले और उसकी शक्ति से ही अपने गौरवशाली परंपरा को बरकरार रखते हुए मानव मर्यादा के लिये कार्य करे।

मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि ईश्वर और मानव की असल अभिव्यक्ति येसु में पूरी हुई है। इसी ईसा मसीह को हम पूरे कोमपोसतेला की यात्रा के प्रत्येक कोने और मोढ़ में पाते हैं। यहाँ एक क्रूस है यह क्रूस हमारा आदर्श हो। यह क्रूस ही प्रेम की चरमसीमा का प्रतीक है। यह क्रूस ही क्षमा का उपहार है।

यह इसीलिये क्योंकि येसु ने अपने को क्रूस के हवाले कर दिया ताकि मानव के प्रति अपने प्रेम का सर्वोच्च साक्ष्य दे सके। यही क्रूस आज हमें इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि हम एक-दूसरे को क्षमा दें और सबों से मेल-मिलाप करें। आज यही क्रूस हमारा आदर्श हो और पूरे यूरोप में यही क्रूस चमके और सबका मार्गदर्शन करे।

आज मैं इस बात को भी बताना चाहता हूँ कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि मानव भगवान की करीब आये और वह ज़रूरतमंदों की मदद न करे। यह यूरोप जो विज्ञान और तकनीकि का यूरोप है सभ्यता और संस्कृति का यूरोप है वह उत्कृष्टता और भ्रातृत्व का यूरोप बने।

काथलिक कलीसिया चाहती है कि यूरोप आज ईश्वर और मानव का ठीक उसी तरह से सम्मान करे जैसे कि येसु मसीह ने किया था। प्रेरित संत जेम्स आपको और पूरे यूरोप को मदद दे ताकि आपका विश्वास मजबूत हो आप अपनी बुलाहट में दृढ़ बनें और सुसमाचार का बीज विश्व के कोने-कोने में बोना जारी रखें।








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