2010-11-03 12:47:31

बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
3 नवम्बर, 2010


रोम, 3 नवम्बर, 2010 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम तेरहवीं शताब्दी की कार्थूजियन मठाध्यक्षा और धर्मी महिला मारगुविरिते के जीवन मनन-चिंतन करें।

मारगुविरिते के लेख संत ब्रुनो की आध्यात्मिकता से प्रभावित थे। मारगुविरिते की रचनाओं में की ईश्वर के प्रति संवेदनशीलता और उन्हें पाने की तीव्र अभिलाषा की झलक मिलती है। मारगुविरिते के अनुसार मानव जीवन येसु के साथ पूर्ण रूप से एक हो जाने का एक रास्ता है।

येसु से एक होने के लिये वह कई बार येसु के दुःखों पर चिन्तन किया करती थी। मारगुविरिते के अनुसार येसु का जीवन उनका वचन और उनका कार्य एक ऐसी पुस्तक है जिसे वह हमें देते हैं ताकि उसका हम अपने गहराई से अध्ययन करें और उसे अपने ह्रदय में स्थान दें।

मारगुविरिते ने अपने जो विचार व्यक्त किये हैं उनमें पारिवारिक जीवन की छाप मिलती है।
उन्होंने लोगों को इस बात के लिये प्रेरित करने का प्रयास किया कि वे ईश्वर के प्रति कृतज्ञ बनें और अपने आपको पवित्र करना ताकि ईश्वर के करीब आ सकें और उन्हें और अधिक प्यार करें।

माकगुविरिते के विचार हमें इस बात के लिये प्रेरित करते हैं कि हम रोज दिन येसु के जीवन और क्रूस की मृत्यु पर मनन-चिन्तन करें और ईश्वर और अपने पड़ोसियों की सेवा करने में आनन्द प्राप्त करें।


इतना कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने अन्टी डिफेमशन लीग के सदस्यों, पीटर्सबर्ग के यहूदी और काथलिक प्रतिनिधियों तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु येसु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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