वाटिकन सिटीः सिनेड को इसराएल विरोधी बतानेवाले आलोचकों को वाटिकन प्रवक्ता का जवाब
मध्यपूर्व पर सम्पन्न धर्माध्यक्षीय धर्मसभा को समझने के लिये उसके अन्तिम संदेश पर ध्यान
केन्द्रित करना अनिवार्य है।
वाटिकन में 10 से 24 अक्टूबर तक मध्यपूर्व के लिये
सम्पन्न धर्माध्यक्षीय धर्मसभा को इसराएल विरोधी बतानेवाले आलोचकों को जवाब देते हुए
वाटिकन प्रेस के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने उक्त बात कही। वाटिकन रेडियो को दी
एक भेंटवार्ता में सोमवार को फादर लोमबारदी ने इस बात की पुष्टि की कि शनिवार को प्रकाशित,
मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा का सन्देश ही धर्मसभा के आचार्यों का अन्तिम सन्देश
है और इसमें जो कुछ लिखा है उसी पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिये।
फादर लोमबारदी
ने कहा, "यद्यपि, धर्मसभा के आचार्यों के वकतव्यों में महान समृद्धता थी तथा उन्होंने
विविध योगदान प्रदान किया तथापि प्रत्येक वकतव्य को अलग से एक आवाज़ के रूप में नहीं
देखा जा सकता।" बहुत मायनों में धर्मसभा की प्रतिक्रियाओं को अनुकूल बताते हुए उन्होंने
कहा, "उसकी सम्पूर्णता में धर्मसभा तथा उसके कार्यशिविरों के मूल्याकंन, सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें द्वारा कहे गये शब्द तथा प्रतिभागियों एवं पर्यवेक्षकों के सामान्य मतों पर यदि
दृष्टिपात किया जाये तो धर्मसभा के परिणाम सकारात्मक रहे हैं।"
फादर लोमबारदी
धर्मसभा पर इसराएल के उपविदेश मंत्री डैनी आयलोन की आलोचना का जवाब दे रहे थे। मंत्री
आयलोन ने जेरूसालेम पोस्ट समाचार पत्र से कहा था कि धर्मसभा इसराएली विरोधी भावनाओं से
भरी थी तथा इसराएल पर राजनैतिक आक्रमण का रंगमंच थी।
मंत्री आयलोन का संकेत शनिवार
को धर्मसभा के अन्तिम सन्देश की प्रकाशना से पूर्व, अमरीका के ग्रीक मैलकाईट महाधर्माध्यक्ष
सिरिल सलीम बुसत्रोस के वकतव्य की ओर था जिनका कहना था कि "प्रतिज्ञात देश की संकल्पना
का दुरुपयोग इसराएल में यहूदियों की वापसी तथा फिलिस्तीनीयों के विस्थापन का औचित्य ठहराने
के लिये नहीं किया जा सकता।" उन्होंने कहा था कि "इसराएल द्वारा फिलीस्तीन के अधिकरण
के लिये पवित्र धर्मग्रन्थ का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिये।"
फादर लोमबारदी
ने इस बात पर बल दिया कि महाधर्माध्यक्ष बुत्रोस के विचार उनके व्यक्तिगत विचार थे जबकि
धर्मसभा का सन्देश यहूदियों एवं ख्रीस्तीयों दोनों को निष्कपट, न्यायसंगत एवं स्थायी
शांति हेतु कार्य करने के लिये आमंत्रित करता है।