सेओलः संयुक्त राष्ट्र संघ ने उत्तर कोरिया में मानवतावादी संकट की चेतावनी दी
उत्तर कोरिया की जनता कुपोषण एवं आर्थिक संकट का शिकार बनी है तथा सर्वाधिक प्रभावित
महिलाएँ और बच्चे हैं जिन्हें अपनी उत्तरजीविता के लिये पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता
है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून द्वारा प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट
में उक्त बात कही गई जिसमें उत्तर कोरिया की साम्यवादी सरकार के अधीन देश में जारी मानवाधिकारों
के घोर उल्लंघन की भी निन्दा की गई है।
इस बीच, सिओल के एक अधिकारी ने इस बात
की पुष्टि की है कि उत्तर कोरिया में लगभग डेढ़ से दो लाख राजनैतिक बन्दी हैं जिन्हें
देश के छः श्रम शिविरों में क़ैद रखा जा रहा है।
उत्तर कोरिया पर प्रकाशित संयुक्त
राष्ट्र संघ के दस्तावेज़ में, अगस्त सन् 2009 से अगस्त 2010 के बीच, देश में व्याप्त
मानवतावादी संकट का विवरण दिया गया है। इसमें बताया गया है कि उत्तर कोरिया के लोग खाद्य
असुरक्षा एवं कुपोषण के शिकार हैं। दो करोड़ चालीस लाख की कुल आबादी में लगभग 35 लाख
महिलाएँ एवं बच्चे ऐसे हैं जिन्हें पर्याप्त एवं पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं होता। इसके
अतिरिक्त, देश का शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छ जल आदि निकाय भी संकटमय स्थिति में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिये उत्तर कोरिया को
कम से कम साढ़े 35 लाख टन अनाज की तुरन्त आवश्यकता है। नागरिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में
अनेक प्रतिबन्ध लगे हैं जिससे लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है जिनमें अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता एवं धार्मिक स्वतंत्रता पर भी कुठाराघात हो रहा है।